BJP ने बिहार में महागठबंधन की निकाली काट, चुनाव से पहले छोटे दलों को NDA से जोड़ने का प्लान
नई दिल्ली
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा बिहार को लेकर नई रणनीति पर काम कर रही है। सूत्रों की मानें तो बीजेपी का प्लान छोटे दलों को एक साथ लाने का है, जो कि महागठबंधन की काट साबित हो सकता है। माना जा रहा है कि केंद्र में सत्ताधारी दल की ओर से उन छोटी पार्टियों को एकजुट करने के प्रयास में है जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराज हैं। बिहार बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी और प्रदेश प्रभारी विनोद तावड़े इस रणनीति को अमली जामा पहनाने में जुट गए हैं। इतना ही नहीं, बीजेपी ने 2024 के चुनाव को ध्यान में रखते हुए अपने संगठन में भी कई बदलाव किए हैं। इसके तहत कई प्रदेश अध्यक्ष बदले गए हैं। संजय जायसवाल की जगह सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष का कार्यभार सौंपा गया है।
सम्राट चौधरी ने मंगलवार को दिल्ली में बिहार बीजेपी प्रभारी विनोद तावड़े से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच बिहार के राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर बातचीत हुई। साथ ही सीएम नीतीश से नाराज चल रहे छोटे दलों को आगामी लोकसभा चुनाव से पहले NDA में लाने की रणनीति पर भी चर्चा की गई। न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा की पहली कोशिश छोटी पार्टियों को अपने पाले में लाने की है। इसके बाद, महागठबंधन के वोट बैंक में सेंध लगाने के प्रयास तेज किए जाएंगे।
इन छोटे दलों पर है भाजपा की नजर
गौरतलब है कि उपेंद्र कुशवाहा ने पिछले महीने नीतीश की जदयू छोड़ने के बाद अपनी नई पार्टी का ऐलान किया था। हालांकि, इसके 24 घंटे के भीतर ही उन्होंने तत्कालीन बिहार भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल से मुलाकात की थी। इससे साफ तौर पर संकेत मिलता है कि कुशवाहा निश्चित रूप से सीएम नीतीश के वोटों को काटने में भाजपा की मदद कर सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि बीजेपी के लिए नीतीश की स्वजाति और JDU कोटे से केंद्र में मंत्री रहे आरसीपी सिंह भी बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। सिंह के जरिए भी जेडीयू के वोट बैंक में सेंध लगाने का पूरा प्रयास किया जाएगा। इसके साथ ही बीजेपी की निगाहें चिराग पासवान पर भी हैं। पार्टी आलाकमान पहले ही Z कैटेगरी की सुरक्षा देकर पासवान को अपने पाले में लाने का पासा फेंक चुका है। इन्हीं कोशिशों के तहत VIP के मुकेश सहनी को भी Z श्रेणी की सुरक्षा दी गई है।
ओबीसी वोट बैंक में सेंध लगाने का प्रयास
बात अगर हम पार्टी के नेता और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी की करें तो लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें भी भाजपा अपने पक्ष में रखने का प्रयास कर रही है। बताया जाता है कि इसी सिलसिले में सम्राट चौधरी ने हाल ही में संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। सम्राट और पीएम मोदी के बीच मंगलवार को भी नई दिल्ली में मुलाकात हुई। ध्यान रहे कि राज्य में एक बार फिर से राजद और जदयू साथ आ चुके हैं। पिछले साल अगस्त में नीतीश कुमार ने BJP के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से अपना गठबंधन तोड़ दिया था। इसके बाद नीतीश ने 'महागठबंधन' के तहत तेजस्वी यादव से हाथ मिलाया और आठवीं बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। इसे देखते हुए लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने नई रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। इसका मुख्य फोकस छोटे दलों को साथ लाकर ओबीसी वोट बैंक में सेंध लगाने पर है। मालूम हो कि बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं।