September 22, 2024

निकाय सम्पत्तियों को किराये पर देकर आमदनी अर्जित कर सकेंगे

0

भोपाल

प्रदेश के नगरीय निकायों द्वारा निर्मित कोई अचल सम्पत्ति जो पांच प्रयासों में भी पट्टे पर रुपांतरण या बिक्री के द्वारा किसी अन्य को नहीं बेची जा सके तो ऐसी सम्पत्ति को अब निकाय किराये पर देकर उस सम्पत्ति से आमदनी अर्जित कर सकेंगे। इसी तरह तीन बार निविदा बुलाने पर भी आरक्षित मूल्य पर कोई सम्पत्ति न बिक सके तो नगर परिषद और नगर पालिका में आयुक्त नगरीय प्रशासन तथा नगर निगम में राज्य सरकार की अनुमति से पंद्रह प्रतिशत तक कीमत घटाई जा सकेगी।

नगरीय विकास तथा आवास विभाग ने इसके लिए मध्यप्रदेश नगर पालिका अचल सम्पत्ति का अंतरण नियम 2016 में संशोधन कर दिया है। नियमों में जो संशोधन किया गया है उसके तहत पांच प्रयासों के बाद भी पट्टे पर देने या बेचने की प्रक्रिया नहीं हो सके तो स्थानीय निकाय ई निविदा के जरिए उच्चतम बोली लगाने वाले को अस्थाई आधार पर सम्पत्ति किराए पर दे सकेंगे।

सम्पत्ति किराए पर देने के लिए किराए की शर्तो , सम्पत्ति का ब्यौरा देते हुए निविदाएं आमंत्रित की जाएंगी। उच्चतम बोली लगाने वाले को वह सम्पत्ति किराए पर दी जा सकेगी। यदि उच्चतम बोली को स्वीकार नहीं करना है तो उसका कारण बताना होगा।

अचल संपत्ति का वार्षिक भाटक आधा प्रतिशत
अचल संपत्ति का वार्षिक भाड़ा प्रथम दस वर्ष के लिए आधा प्रतिशत और उसके अगले बीस वर्ष के लिए निविदा में प्राप्त प्रीमियम के मूल्य जिस पर अनुमोदन को संपत्ति अंतरण के लिए सक्षम अधिकारी द्वाराा स्वीकृति देने पर दो प्रतिशत रहेगा।

पंद्रह प्रतिशत कीमत घटा सकेंगे आयुक्त
 नगरीय निकाय में तीन बार आरक्षित मूल्य पर निविदा बुलाए जाने पर कोई आवेदन न आए तो नगर पालिका और नगर परिषद की दशा मेें आयुक्त नगरीय प्रशासन, नगर निगम की दशा में राज्य सरकार की अनुमति से आरक्षित मूल्य में पंद्रह प्रतिशत तक कमी की जा सकेगी।

दो करोड़ तक की संपत्ति बेचने, पट्टे पर देने के पावर अब आयुक्त को
5 लाख तक या अधिक आबादी वाले नगर निगम में दो करोड़ रुपए तक की सम्पत्ति विक्रय, पट्टे, भाड़े , दान या बंधक या विनिमय द्वारा अंतरण की अनुमति अब आयुक्त दे सकेंगे। दो से दस करोड़ तक मेयर इन काउंसिल, दस से बीस करोड़ तक नगर निगम, बीस से पचास करोड़ तक आयुक्त नगर निगम, पचास करोड़ से अधिक की सम्पत्ति के लिए राज्य सरकार की अनुमति जरुरी होगी।

पांच लाख से कम जनसंख्या वाले निगमों में चालीस लाख तक की संपत्ति आयुक्त, 40 लाख से दो करोड़ तक मेयर इन काउंसिल, दो करोड़ से पांच करोड़ तक नगर निगम, पांच से दस करोड़ तक आयुक्त और 10 करोड़ से अधिक की संपत्ति के लिए राज्य सरकार की अनुमति जरूरी होगी। नपा परिषद के मामले में दो करोड़ रुपए तक की संपत्ति के लिए प्रेसिडेंट इन काउंसिल और दो करोड़ से पांच करोड़ तक की सम्पत्ति के मामले में परिषद को अनुमति होगी।

5 से 10 करोड़ तक के लिए आयुक्त नगरीय प्रशासन और 10 करोड़ से ऊपर के लिए राज्य सरकार की अनुमति जरूरी होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed