November 24, 2024

नई ‘विदेश व्यापार नीति’ घोषित, रुपये में व्यापार को प्रोत्साहन, ‘एमनेस्टी स्कीम’ की घोषणा

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नई दिल्ली
माल और सेवाओं का निर्यात 2030 तक दो लाख करोड़ डॉलर के स्तर पर पहुंचाने तथा रुपये में वैश्विक व्यापार को प्रोत्साहित करने जैसे महत्वाकांक्षी लक्ष्यों तथा वैश्विक बाजार की अनिश्चितताओं के दौर में नीतिगत निश्चितता, स्थिरता तथा लचीलेपन के रणनीतिक उद्देश्यों के साथ सरकार ने  ‘आज़ादी के अमृतकाल’ की पहली ‘विदेश व्यापर नीति’ (FTP) पेश की।

परंपरा से हट कर नई एफटीपी-2023 में कोई ‘सनसेट उपबंध’(पटाक्षेप की तिथि) नहीं रखी गयी है। विदेश व्यापार नीति 2023 पिछली 2015-20 नीति का स्थान लेगी। कोविड-19 महामारी और भू-राजनीतिक चुनौतियों के कारण विदेश व्यापार महा निदेशालय के लिए नई नीति तैयार करने में विलम्ब हुआ था।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल द्वारा यहां निर्यात जगत के आमंत्रित प्रतिनिधियों के बीच घोषित नीति में जिलों को निर्यात के केंद्र के रूप में विकसित करने, अंतरराष्ट्रीय व्यापार में रुपये के प्रयोग को बढ़ावा देने, विगत में प्रोत्साहन योजनाओं के अनुरूप निर्यात लक्ष्य पूरा करने में विफल रहे निर्यातकों के लिए एकबारगी एमनेस्टी स्कीम (अभयदान योजना), भारतीय निर्यातकों को तीसरे देश के जरिए प्रतिबंधित वस्तुओं तक के निर्यात की छूट देने तथा ई-कामर्श के जरिए निर्यात को प्रोत्साहित करने के विशेष प्रावधान किए गए हैं।

वाणिज्य सचिव सुनील बरथवाल ने कहा, “ हमने इस बार से एफटीपी पर ‘समयावधि की सीमा हटा दी है।’ एफटीपी-2023 पर कोई सन-सेट क्लाज (पटाक्षेपण-उपबंध) नहीं लगा है। हाल ही के अनुभवों को देखते हुए यह कदम उठाया गया है क्योंकी अनिश्चितताओं के दौर में नीति में निरंतर सुधार की जरूरत का महत्व बढ़ता जा रहा है।”

एफटीपी-2023 जारी करते हुए वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार ने 2030 तक वार्षिक एक लाख करोड़ डॉलर के माल और एक लाख करोड़ डॉलर के सेवा निर्यात (कुल दो लाख करोड़ डॉलर सालाना निर्यात) का लक्ष्य रखा है । पिछले दो साल में विदेशी बाजारों में चुनौतियों के बावजूद भारत के निर्यात क्षेत्र के प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “ जिस तेज गति से हम निरंतर आगे बढ़ रहे हैं उससे ये आत्मविश्वास पैदा हुआ है कि आगे के लक्ष्यों को भी हम सभी मिलकर अपने कड़े परिश्रम से प्राप्त कर लेंगे।”

उन्होंने आज समाप्त हो रहे चालू वित्त वर्ष में भारत का कुल निर्यात (माल और सेवा निर्यात सहित) 770 अरब डॉलर तक रहने का अनुमान लगाया। पिछले वित्त वर्ष में देश का कुल निर्यात 676 अरब डॉलर के स्तर पर था,जो एक रिकॉर्ड है।

वर्ष 2019 तक कुल अधिकतम निर्यात अधिकतम 535 अरब डालर के आस पास के दायरे में रहने का उल्लेख करते हुए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने कहा कि हाल के वर्षों में भारत के उद्योग और निर्यात क्षेत्रों ने यह दिखा दिया है कि ‘हमने ठान लिया, तो हम किसी भी लक्ष्य को पूरा करने की क्षमता रखते हैं।’

गोयल ने निर्यातकों को सरकार की उदार नीतियों का फायदा उठाते हुए, दृढ़ निश्चय के साथ वैश्विक चुनौतियों का सामना करने का पहले दिन से प्रयास शुरू करने का आह्वाहन करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह कथन याद दिलाया, “ यही समय है सही समय है।”

उन्होंने पिछले 19 महीने के दौरान वैश्विक संकटों के बावजूद भारत के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि का उदाहरण देते हुए उद्योग जगत से कहा, “आप आज से ही शुरू करें, मुझे पूरा विश्वास है कि 2030 तक हम एक लाख करोड़ डॉलर के माल और एक लाख करोड़ डॉलर के सेवा का निर्यात लक्ष्य हासिल कर लेंगे।”

विदेश व्यापार नीति 2022-23 में पिछली विभिन्न निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं में निर्यात लक्ष्यों को पूरा करने में विफल रहे, निर्यातकों के लिए एकबारगी ‘एम्नेस्टी’ (अभयदान) योजना, भारतीय निर्तायकों को रुपये में कारोबार तथा तीसरे देश से निर्यात को बढ़ावा देने, ई-कॉमर्स के जरिए निर्यात की संभावनाओं के दोहन, प्रोत्साहन की जगह शुल्क छूट, जिलों को निर्यात केन्द्र के रूप में विकसित करने, कारोबार में आसानी और लेन-देन की लागत कम करने तथा ई-कॉमर्स जैसे माध्यमों से निर्यातकों को प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत कदम उठाए गए हैं।

वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने निर्यात क्षेत्र को ‘अर्थव्यवस्था का इंजन’ बताते हुए कहा, “नई विदेश व्यापार नीति स्थिरता और निरंतरता पर केन्द्रित है तथा इसमें इस बात का ध्यान रखा गया है कि हमारे निर्यात और उद्योग जगत को पिछले समयों में नीतिगत अनिश्चितताओं के कारण हुए नुकसान की स्थितियों का सामना न करना पड़े।”

इस नीति में फरीदाबाद (वस्त्र-परिधान), मुरादाबाद (हस्तशिल्प), मिर्जापुर (गलीचा और दरी) तथा वाराणसी (हथकरघा और हस्तशिल्प) को भी ‘निर्यात में उत्कृष्टता वाले कस्बे’ (टीईई) का दर्जा दिया गया है और इस तरह ऐसे कस्बों की संख्या 39 से बढ़कर 43 हो गयी है।

नई नीति में वर्ष 2023-24 के लिए निर्यात का अभी कोई लक्ष्य नहीं रखा गया है पर निर्यात एसोसिएशनों के महासंघ फियो के अध्यक्ष डॉ ए शक्तिवेल ने ‘यूनीवार्ता’ से कहा कि कल से शुरू हो रहे अगले वित्त वर्ष में हम ‘ 900 अरब डॉलर के स्तर के निर्यात की उम्मीद कर सकते हैं।’’

 

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