November 25, 2024

कानपुर में तीन दिन बाद भी धधक रहा कपड़ा बाजार, अब तक 2200 करोड़ का नुकसान; उबरने में लगेंगे 4 साल

0

 कानपुर

  कानपुर के बांसमंडी स्थित रेडीमेड कपड़ों के थोक बाजार में भड़की आग तीन दिन बाद भी शांत नहीं हुई है। बुरी तरह जली इमारतों से रह-रहकर लपटें निकल रही हैं। आग पर काबू पाने को फायर पुलिस, एनडीआरएफ के साथ सेना की टीमें जुटी हैं। नफीस टावर में दीवारें तोड़कर दुकानों में भरा धुआं निकाला जा रहा है। आईआईटी की टीम तकनीकी जांच कर रही है। इस बीच अब तक 2200 करोड़ रुपए तक के नुकसान की बात कही जा रही है। जानकारों का कहना है कि आग से हुए नुकसान से उबरने में बाजार को कम से कम चार साल लग जाएंगे।

शनिवार सुबह एआर टावर के पहले तल पर फायर कर्मियों ने 33 घंटे बाद एक जला हुआ शव बरामद किया। पुलिस को आशंका है कि शव पान की गुमटी लगाने वाले ज्ञानचन्द्र साहू का है, जो अग्निकांड के बाद से लापता था। पुलिस उनके परिवार वालों को सूचना देकर शिनाख्त करा रही है। इस बीच पांच में से तीन इमारतों में आग अभी तक बेकाबू है। दमकल की 56 गाड़ियां रात-दिन डटी हैं, पर पेट्रो केमिकल उत्पादों, सिंथेटिक रेडीमेड व काटन रेडीमेड की गांठें लगातार सुलग रही हैं। शनिवार को नफीस टावर में स्थित स्टेट बैंक की शाखा भी जलकर खाक हो गई। हालांकि ऐन वक्त पर गोल्ड, कैश और अहम दस्तावेजों को सुरक्षित निकाल लिया गया। पुलिस आयुक्त बीपी जोगदंड ने बताया कि आग पर लगभग काबू पा लिया गया है। स्थिति को देखते हुए प्रयागराज से भी एक फायर टेंडर मंगवाया गया है। डीजी फायर अविनाश चंद्र भी पहुंचे। उन्होंने निरीक्षण करने के बाद कहा कि आग शार्ट सर्किट से लगने की संभावना है।

अब तक 2200 करोड़ का झटका दे चुकी आग
कानपुर कपड़ा मार्केट की आग अब तक कम से कम 2200 करोड़ रुपये का झटका कारोबारियों को दे चुकी है। इससे उबरने में ही बाजार को कम से कम चार साल लग जाएंगे। आर्थिक के साथ साथ मानसिक आघात ने कारोबारियों को हिला दिया है। बांसमंडी में आग की भेंट चढ़े अरजन कॉम्पलेक्स, ए आर टॉवर, मसूद कॉम्पलेक्स, हमराज कॉम्पलेक्स और नफीस टॉवर की 700 दुकानों में रोज 15 करोड़ का व्यापार होता है। ईद पर 30 करोड़ पार कर जाता है। ईद की तैयारियों में ही व्यापारी व्यस्त थे। यूपी के 55 जिलों के अलावा 15 राज्यों तक सप्लाई की जा रही थी। लेकिन एक रात में ही ये तस्वीर बदरंग हो गई।

व्यापारियों ने बताया इन बाजारों में एक-एक दुकान की कीमत 60 लाख से एक करोड़ रुपये तक है। इमारतें तबाह हो गईं। नए सिरे से बनाए बिना कारोबार असंभव है। इन्हें बनाने को भी पैसा जेब से भरना होगा। यानी खरीद का पैसा डूबने के बाद बनवाने पर आने वाले खर्च की दोहरी चोट तय है। इतना ही नहीं, इमारतें तैयार होने में महीनों-सालों लग जाएंगे। तबतक कहां जाएंगे। कारोबारियों ने कहा अभी कोरोना से उबरे थे। अगर सरकारी राहत मिली भी तो ऊंट के मुंह में जीरा जैसी होगी क्योंकि नुकसान अरबों का है और राहत करोड़ों की होगी। एक तरफ व्यापारी सिर पीट रहे हैं तो दूसरी तरफ 8000 से ज्यादा कर्मचारियों की सांस अटक गई है। एडमिशन का समय है। ईद सिर पर है। कैसे घर का खर्च चलेगा, रसोई चलेगी, बच्चों की पढ़ाई होगी…इसे सोच कर उनकी आंखों से आंसू गिर रहे हैं।

यूपी गारमेंट्स मैन्यूफैक्चरर एसोसिएशन के अध्‍यक्ष धीरज शाह ने कहा कि उबरने में समय इसलिए लगेगा पूरा माल जल गया है। आगे कारोबार भी करें तो बैठेंगे कहां। ईद और सहालग का सीजन चला गया। एसोसिएशन के फंड से कुछ मदद करेंगे। जेट निटवियर के एमडी बलराम नरूला ने कहा कि हादसे ने केवल कानपुर बल्कि पूरी इंडस्ट्री को हिला दिया। माल जलने से कारोबारी बर्बाद हो गए। सरकार की मदद चाहिए। मदद को संगठन और हम साथ खड़े हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *