September 23, 2024

नसरुल्लागंज का नाम आज से भैरूंदा

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भोपाल

नवाबी काल के एक और कस्बे का नाम बदल गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र बुधनी में आने वाली नसरुल्लागंज तहसील का नाम बदलकर भैरुंदा कर दिया गया है। इसका नोटिफिकेशन जारी हो गया है। सीएम शिवराज सिंह चौहान आज भैरुंदा का गौरव दिवस कार्यक्रम मनाने शाम को पहुंचेंगे। इसी अवसर पर नए नामकरण का ऐलान करेंगे।

विधानसभा चुनाव से आठ माह पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र बुधनी में आने वाली नसरुल्लागंज तहसील का नाम राज्य सरकार ने बदल दिया है। इसका नोटिफिकेशन भी कर दिया गया है। नसरुल्लागंज का नया नाम उसी दिन सार्वजनिक हुआ है जब इस कस्बे का गौरव दिवस मनाया जा रहा है। इस गौरव दिवस में मुख्यमंत्री चौहान भी शामिल होने वाले हैं। रविवार को नसरुल्लागंज के गौरव दिवस के आयोजन किया गया है। गौरव दिवस के मौके पर सीएम शिवराज सिंह चौहान नसरुल्लागंज के नए नाम की सार्वजनिक घोषणा करने वाले हैं। नसरुल्लागंज का नया नाम अब भैरूंदा होगा। इसको लेकर सात दिसम्बर 2022 को भेजे गए प्रस्ताव के बाद राजस्व विभाग ने इसका नोटिफिकेशन जारी किया है।

इन शहरों का भी बदला है नाम
नसरुल्लागंज का नाम बदलने की मांग पिछले एक साल से की जा रही थी जिसके लेकर आठ माह पहले केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था जिस पर सरकार ने अब आदेश जारी कर दिया है।  इसके पहले   होशंगाबाद शहर का नाम नर्मदापुरम् किया जा चुका है। साथ ही भोपाल जिले में आने वाले इस्लाम नगर को जगदीशपुर नाम दिया जा चुका है। भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति स्टेशन, बैरागढ़ उपनगर का नाम संत हिरदाराम नगर किया जा चुका है। नर्मदापुरम के बाबई कस्बे का नाम भी इसके पूर्व माखन नगर किया जा चुका है। बिरसिंहपुर पाली का नाम मां बिरासिनी धाम हो चुका है। भोपाल के ईदगाह हिल्स का नाम गुरुनानक टेकरी करने की मांग भी की जा रही है।

इतिहास:1908 तक भैरुंदा ही था नसरुल्लागंज
नसरुल्लागंज के इतिहास पर गौर करें तो इसका ताल्लुक भोपाल के नवाब परिवार से है। इतिहासकार बताते हैं कि नवाब सुल्तानजहां बेगम ने अपने तीनों पुत्रों को भोपाल के पास जागीर दी थी। सबसे बड़े बेटे नसरुल्ला खां को दी गई जागीर का नाम उनके नाम पर नसरुल्लागंज पड़ा। इसी प्रकार औबेदुल्लागंज औबेदुल्ला खां की जागीर थी। सुल्तान जहां बेगम ने अपने सबसे छोटे बेटे हमीदउल्ला को चिकलोद की जागीर दी थी। नसरुल्ला खां और औबेदुल्ला खां की मौत पहले हो जाने के कारण भोपाल रियासत का नवाब हमीदउल्ला को बनाया गया था। भोपाल रियासत का

1908 का गजट नोटिफिकेशन बताता है कि नसरुल्लागंज का नाम उस वक्त
भैरुंदा ही था। गजट में उल्लेख है कि भैरुंदा भोपाल रियासत के दक्षिणी संभाग के आठ परगना में से एक परगना था। उस वक्त भैरुंदा और आसपास में दरी बुनने का काम होता था। काफी बुनकर यहां रहते थे।

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