मानहानि केस में 13 अप्रैल तक राहुल गांधी जमानत पर, सजा पर रोक का बढ़ा इंतजार
सूरत
राहुल गांधी को सेशन कोर्ट से मानहानि मामले में जमानत मिल गई है, यह जमानत उनको 13 अप्रैल तक के लिए मिली है. अब इस केस में अगली सुनवाई 13 अप्रैल को की जाएगी. हालांकि कोर्ट ने राहुल से कहा है कि उन्हें अगली सुनवाई में कोर्ट मेंं उपस्थित होने की जरूरत नहीं है.
हालांकि इस सुनवाई के दौरान राहुल गांधी की संसदीय सदस्यता रद्द होने के मामले में कोई अपडेट सामने नहीं आया है. वहीं जमानत से राहुल के बंगला छोड़ने पर स्टे नहीं मिलेगा. इस संबंध में आज किसी तरह का फैसला नहीं हुआ है.
इससे पहले उन्हें सूरत की ही निचली अदालत ने 2 साल की सजा सुनाई थी. निचली अदालत के इस फैसले के बाद राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी. बाद में राहुल गांधी को सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस भी दिया गया था. एक के बाद एक बड़ी कार्रवाई के बाद राहुल गांधी ने सोमवार को कोर्ट में अर्जी लगाई है. इससे पहले शिकायतकर्ता को 10 अप्रैल तक कोर्ट में जवाब दाखिल करने को कहा गया है.
सूरत कोर्ट ने 10 अप्रैल तक सभी पक्षों को जवाब दाखिल करने को कहा है।
इससे पहले सूरत में सीजेएम एचएच वर्मा की अदालत ने राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि का दोषी करार देते हुए उन्हें दो साल कैद की सजा सुनाई थी। 23 मार्च को कोर्ट ने उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 499 (मानहानि) और 500 (किसी व्यक्ति की आपराधिक मानहानि के दोषी व्यक्ति के लिए सजा) के तहत दोषी ठहराया था। हालांकि, कोर्ट ने उन्हें ऊपरी अदालत में जाने का मौका दिया और सजा को 30 दिन तक निलंबित कर दिया था।
दोषी ठहराए जाने और 2 साल की सजा मिलने के बाद नियमानुसार लोकसभा सचिवालय ने 24 मार्च को एक अधिसूचना जारी कर गांधी को संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था। जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के मुताबिक, दो साल की जेल की सज़ा मिलने पर सांसद या विधायक संसद या विधानसभा की अपनी सदस्यता से, दोषसिद्धि की तारीख से अयोग्य हो जाता है। हालांकि, कोई उच्च अदालत दोषसिद्धि और सजा पर रोक लगा दे तो सदस्यता बहाल हो जाती है।
राहुल गांधी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उस टिप्पणी को लेकर शिकायत दर्ज करायी थी जिसमें उन्होंने कहा था, 'सभी चोरों का उपनाम मोदी क्यों है?' गांधी ने 13 अप्रैल 2019 को लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कर्नाटक के कोलार में एक रैली को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की थी।