दयाशंकर सिंह और स्वाति सिंह का 22 साल पुराना रिश्ता हुआ ख़त्म
लखनऊ . उत्तर प्रदेश सरकार में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह और पूर्व मंत्री स्वाति सिंह के बीच आज से 22 से पहले प्रेम की शुरुआत हुई थी। लेकिन, इस प्रेम कहानी का दुखद अंत हो गया। पारिवारिक न्यायालय ने परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह और पूर्व मंत्री स्वाति सिंह के तलाक पर मुहर लग दी है। परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह और पूर्व मंत्री स्वाति सिंह ने पिछले साल ही फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए वाद दायर किया था। इसके बाद पारिवारिक न्यायालय ने तलाक की मंजूरी दे दी।
फैमिली कोर्ट लखनऊ के अपर प्रधान न्यायाधीश देवेन्द्र नाथ सिंह ने 28 मार्च को 18 मई 2001 को हुए दोनों के विवाह को खत्म मानते हुए निर्णय लिया। हालांकि पिछले कई वर्षों से दयाशंकर और स्वाति अलग-अलग रह रहे थे।
पारिवारिक न्यायालय की पूर्व पत्रावली के अनुसार स्वाति सिंह ने पारिवारिक विवादों के चलते वर्ष 2012 में दयाशंकर सिंह से तलाक के लिए लखनऊ में पारिवारिक न्यायालय में मुकदमा दाखिल किया था। इस मामले को अदालत ने विचारार्थ स्वीकार करते हुए दयाशंकर सिंह को अपना पक्ष रखने एवं आपत्ति दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया था।
मुकदमे की सुनवाई के दौरान ही साल 2017 में भाजपा ने स्वाति सिंह को विधानसभा चुनाव का टिकट दे दिया। स्वाति चुनाव जीतीं और सरकार में उन्हें मंत्री पद मिला। इसके बाद वे अदालत में सुनवाई के दौरान हाजिर नहीं हुईं। स्वाति की लगातार गैर हाजिरी के चलते फैमिली कोर्ट के अपर प्रधान न्यायाधीश प्रथम ने वर्ष 2018 में उनके मुकदमे को पैरवी के अभाव में खारिज कर दिया था।
पहले खारिज हो गई थी अर्जी
वरिष्ठ अधिवक्ता पदमकीर्ति ने बताया कि स्वाति सिंह ने मार्च 2022 में अदालत में अर्जी देकर केस दोबारा शुरू करने की अपील की। हालांकि उस अर्जी को भी वापस लेते हुए नई याचिका दायर की गई थी।
बीते वर्ष अदालत में दाखिल हुआ वाद
इसके बाद स्वाति सिंह ने बीते पारिवारिक न्यायालय में वाद दाखिल करते हुए इसमें साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए कहा था कि बीते चार वर्षों से पति से अलग रह रही हैं। दोनों के बीच कोई वैवाहिक रिश्ता नहीं है। प्रतिवादी के अदालत में उपस्थित न होने पर कोर्ट ने वाद की कार्यवाही को एक पक्षीय रूप से सुना। इसमें वादिनी के साक्ष्यों से सहमत होने के बाद तलाक को मंजूरी प्रदान की।
विद्यार्थी परिषद में सक्रियता के दौरान आए साथ
दयाशंकर सिंह व स्वाति सिंह के बीच रिश्ते की बुनियाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से पड़ी। दोनों उसमें सक्रिय थे। बताया जाता है कि स्वाति सिंह इलाहाबाद में एमबीए की पढ़ाई कर रही थीं और दयाशंकर सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में अग्रिम पंक्ति के नेता थे। परिषद के कार्यक्रमों में दोनों का मेलजोल बढ़ा। दोनों बलिया के ही रहने वाले थे, इसलिए उनके रिश्ते और प्रगाढ़ हो गए।
कुछ ही समय में दोनों विवाह बंधन में बंध गए। बाद में स्वाति सिंह ने लविवि में पीएचडी में पंजीकरण कराया। साथ ही यहीं पर पढ़ाने भी लगीं। उस समय दयाशंकर सिंह से जुड़े छात्रों व विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं के बीच भैया-भाभी का संबंध मधुर स्मृतियों वाला रहा है। बाद में दोनों के बीच कई बार तल्खियों की बात भी लोगों को सुनाई दी, लेकिन सब यही चाहते रहे कि रिश्ते की डोर जुड़ी रहे।
स्वाति का अचानक हुआ राजनीति में प्रवेश
सियासत में स्वाति सिंह का प्रवेश बहुत नाटकीय रहा। दयाशंकर सिंह की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को लेकर एक टिप्पणी के बाद जब विवाद में उनके परिवार को घसीटा गया तो स्वाति सिंह मुखर हुईं। उसके बाद उनके सितारे बुलंद हुए और वह सीधे भाजपा प्रदेश महिला मोर्चा अध्यक्ष, फिर विधायक और उसके बाद प्रदेश सरकार में मंत्री बनीं। हालांकि, इस बार उन्हें टिकट नहीं मिल पाया। दयाशंकर सिंह हाल ही हुए चुनाव में बलिया से जीत दर्ज करा चुके हैं।
एक दशक से दोनों के बीच संबंध नहीं
परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह और स्वाति के दो बच्चे हैं. एक बेटा और एक बेटी. दोनों स्वाति सिंह के साथ ही रहते हैं. दयाशंकर सिंह वक्त-वक्त पर अपने बच्चों से मुलाकात भी करते हैं. पिछले एक दशक से दोनों के बीच संबंध नहीं के बराबर थे, लेकिन जब दयाशंकर सिंह ने बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ विवादित बयान दिया था, तब स्वाति ने मोर्चा संभाला.
मंत्री बनने के बाद फिर बिगड़े रिश्ते
इस दौरान दोनों पति-पत्नी के बीच फिर नजदीकी हुई थीं. फिर 2017 के विधानसभा चुनाव में दयाशंकर सिंह को टिकट नहीं मिला तो उनकी पत्नी स्वाति सिंह को बीजेपी ने टिकट दिया था. स्वाति विधायक बनीं और फिर योगी सरकार में मंत्री बनीं. उसके बाद एक बार फिर दोनों के रिश्ते बेहद खराब हो गए.
स्वाति का टिकट काटकर दयाशंकर को मिला मौका
इस बार स्वाति का टिकट काटकर बीजेपी ने दयाशंकर को बलिया से टिकट दिया था, जहां से वह विधायक हुए और उसके बाद योगी कैबिनेट में मंत्री बने. स्वाति सिंह और दयाशंकर बीच घरेलू हिंसा तक की खबरें आती रही. स्वाति, दयाशंकर पर कई तरह के आरोप लगा चुकी हैं. यहां तक की कई बार पार्टी के शीर्षस्थ नेताओं ने सुलह कराने की कोशिश की.
स्वाति सिंह ने दायर की थी तलाक की अर्जी
स्वाति सिंह को टिकट नहीं मिलना और स्वाति सिंह की जगह दयाशंकर सिंह को टिकट दिए जाने और उन्हें मंत्री बनाए जाने के बाद तो एकदम यह साफ हो गया कि अब दोनों के बीच कोई रिश्ता नहीं रह गया. स्वाति सिंह ने इस रिश्ते को खत्म करने के लिए तलाक की अर्जी दी थी जिसे अब अदालत ने मान लिया है.
एबीवीपी के कार्यक्रमों से विवाह के बंधन तक
दयाशंकर सिंह और स्वाति सिंह के बीच रिश्ते की शुरुआत एबीवीपी के कार्यक्रमों से हुई थी. स्वाती सिंह इलाहाबाद में एमबीए की पढ़ाई कर रही थीं और दयाशंकर सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र राजनीति में सबसे आगे के नेता थे. विद्यार्थी परिषद के कार्यक्रम में दोनों का मेलजोल बढ़ा था और दोनों ही बलिया के रहने वाले थे, जिसके बाद दोनों ने शादी कर ली.