September 24, 2024

18-30 साल की महिलाओं की अस्मिता को खतरा सबसे ज्यादा? डराते हैं सरकारी रिपोर्ट के ये आंकड़े

0

 नई दिल्ली
18 से 30 साल की उम्र की महिलाओं में रेप का खतरा सबसे ज्यादा है। एनसीआरबी के अपराध रिकॉर्ड का हवाला देते हुए 'वूमेन एंड मैन इन इंडिया 2022' ने अपनी रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट बताती है कि इस आयु वर्ग में महिलाएं अधिक असुरक्षित हैं क्योंकि उनमें से कई नौकरीपेशे का हिस्सा हैं क्योंकि उन्हें ऑफिस और घर के बीच यात्रा करने, देर से काम करने और साइटों पर काम करने की आवश्यकता होती है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 16 वर्ष से कम आयु वर्ग की लड़कियों में रेप के मामले कम आने की बड़ी वजह सामाजिक डर हो सकता है।

हाल ही में जारी हुई 'वूमेन एंड मैन इन इंडिया 2022' की रिपोर्ट महिलाओं के "काम करने और कमाने" के मौलिक अधिकार को सुरक्षित करने के लिए अधिक संवेदनशील और प्रभावी उपायों की मांग करती है। 18-30 आयु की महिलाओं का हवाला देते हुए रिपोर्ट में जोर दिया गया है कि "ऐसी स्थितियां महिलाओं के काम करने और कमाई करने के मौलिक अधिकार में बोझ या बाधा नहीं होनी चाहिए। कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए सरकार द्वारा पहले ही कई उपाय किए जा चुके हैं। लेकिन लैंगिक संवेदनशीलता के क्षेत्र में और अधिक कार्य किए जाने की आवश्यकता है।"

सामाजिक डर
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 16 वर्ष से कम आयु वर्ग की लड़कियों में रेप के मामले कम आने की बड़ी वजह सामाजिक डर हो सकता है। ऐसा हो सकता है कि सामाजिक डर से रिपोर्ट न लिखी गई हो।

एनसीआरबी के आंकड़े
एनसीआरबी के 2021 के आंकड़ों के अनुसार, 31,878 बलात्कार पीड़ितों में से 20,065 (63%) की उम्र 18-30 वर्ष के बीच थी। वहीं, 1,030 (12-16 वर्ष), 183 (6-12 वर्ष) और 53 छह वर्ष से कम रही। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा 'सशक्तिकरण में बाधाओं से संबंधित सूचना' पर पेश की गई रिपोर्ट में 2016 से 2021 तक के अपराध के आंकड़ों पर भी ध्यान आकर्षित किया गया है।

यौन हिंसा की अधिकतर वजह
 रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के 70 फीसदी मामले  पति द्वारा क्रूरता, रिश्तेदारों का महिला की लज्जा भंग करना और अपहरण हैं। महिलाओं द्वारा अपने ही घर में पति और रिश्तेदारों द्वारा झेली जाने वाली क्रूरता की दर सभी अपराधों का एक तिहाई है। आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं को सुरक्षा से समझौता करना घर से ही शुरू होता है। रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है ये सिर्फ पंजीकृत मामले हैं, अगर पुलिस में बना दर्ज मामलों पर भी ध्यान दिया जाए तो यह संख्या काफी अधिक हो सकती है।

18 से 49 की महिलाएं  घर में झेल रही हिंसा
रिपोर्ट में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों का हवाला दिया गया है जो बताता है कि देश में एक तिहाई महिलाएं अपने पति द्वारा हिंसा का सामना कर रही हैं। "18-49 वर्ष की आयु की विवाहित महिलाएं वें हैं जिन्होंने कभी अपने पति द्वारा की गई भावनात्मक, शारीरिक या यौन हिंसा का अनुभव किया है। हालांकि, 2015-16 में 33.3% से थोड़ा कम होकर 2019-21 में यह आंकड़ा 31.9% हो गया है, लेकिन इतनी संख्या भी काफी चिंताजनक है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *