खैरागढ़ की धरती पर जीवंत हुई पंजाब और बुंदेलखंड की संस्कृति
खैरागढ़
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में लोक-संगीत विभाग के साप्ताहिक कार्यक्रम कला-चौपाल में इस हफ्ते एक बार फिर विद्यार्थियों की प्रस्तुतियों ने उपस्थितजनों को झूमने पर विवश कर दिया। खास बात यह कि छत्तीसगढ़ शासन के जन सम्पर्क संचालनालय के अधिकारी सचिन शर्मा भी इस बार कला-चौपाल के साक्षी रहे। उन्होंने विद्यार्थियों की प्रस्तुति और उन्हें तैयार करने वाले शिक्षकों की सराहना व्यक्त की।
इस हफ्ते कु. ऐश्वर्या पटेल के आलेख पाठन से प्रस्तुतियों की शुरूआत हुई, फिर विद्यार्थी मनीष कामड़े ने छत्तीसगढ़ी लोक-गीत की प्रस्तुति दी, जिस पर संगतकार के रूप में मनोज डहरिया और रोशन रजक सहयोगी भूमिका में रहे। अगली प्रस्तुति भांगड़ा नृत्य की हुई, जिसमें कु.खुशबू भूमिज, कु. कुसुम सोनी, कु. पल्लवी नागदेवे, रोहन जंघेल, विक्रम, विकास गायकवाड़ और उनके सहपाठियों ने पंजाब के लोक-जीवन को अपनी नृत्य प्रस्तुति से साकार कर दिया।
इसी तरह बधाई नृत्य गीत की प्रस्तुति देने वाले विद्यार्थियों भुनेश्वर साहू, प्रमोद साहू, चंद्र प्रकाश साहू, धनंजय साहू, तारण निषाद, सूरज ठाकुर, कु. भारती जंघेल, कु. कविता कुंभकार, कु. पूर्णिमा राना, कु. झरना, कु. डॉली लिल्हारे, कु. सुमन बेरवंशी ने भी बुंदेलखंड की याद ताजा कर दी। पूरी प्रस्तुति के दौरान गायन पक्ष में कु. प्रीति रात्रे, कु. ऐश्वर्या पटेल, कु. हर्षा साहू, मनोज डहरिया, टाहल साहू, हर्ष चंद्राकर एवं साथियों ने गायन, वादन एवं संगीत पक्ष में महत्वपूर्ण सहभागिता निभायी। कार्यक्रम का संचालन छात्र धनंजय साहू ने किया। प्रस्तुतियों पर समीक्षात्मक अभिव्यक्ति देते हुए आभार प्रदर्शन लोक-संगीत विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. दीपशिखा पटेल ने किया।