ऑनलाइन गेमिंग का बाजार अरबों का, लेकिन नियम नहीं, गेम खेलने में सबसे आगे यूपी वाले, बच्चों पर पड़ रहा बुरा असर
नई दिल्ली
देश में ऑनलाइन गेमिंग का बाजार वित्त वर्ष 2022 में 2.6 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। 2016 में यह 54.30 करोड़ डॉलर का था। 2027 तक यह चार गुना बढ़कर 8.6 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। अरबों रुपये का बाजार होने के बावजूद ऑनलाइन गेमिंग पर नियंत्रण के लिए पुख्ता नियम नहीं हैं और न नियामक।
भारत में 50 करोड़ गेम खेलने वाले
भारत में ऑनलाइन गेम खेलने वालों की संख्या वर्ष 2022 में 50.7 करोड़ के करीब पहुंच गई है। इसके साथ ही भारत दुनिया में सबसे ज्यादा मोबाइल गेम खेलने वाला देश बन गया। 2021 में यह संख्या 45 करोड़ थी। अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025 तक यह संख्या 70 करोड़ पहुंच जाएगी। वर्ष 2022 में 12 करोड़ गेमर्स ऐसे रहे, जिन्होंने खेल के लिए पैसे का भी भुगतान किया।
इनाम का भुगतान नहीं
जांच में मिला है कि कई गेमिंग पोर्टल्स ने जानबूझकर भुगतान तंत्र में गड़बड़ कर रखी है। इसे ऐसे तैयार किया गया कि इनाम की रकम पहली बार तो दी जाती है पर इसके बाद गेम खेलने वालों को या तो ब्लॉक किया जाता है। या भुगतान की दिक्कतें ऐप पर दिखती हैं।
उत्तर प्रदेश सबसे आगे
इंडिया मोबाइल गेमिंग रिपोर्ट 2022 के मुताबिक, सबसे ज्यादा ऑनलाइन गेम खेलने वालों में यूपी के लोग सबसे आगे हैं। इसके बाद महाराष्ट्र, राजस्थान, बिहार और पश्चिम बंगाल का स्थान है।
बच्चों पर ज्यादा असर
रिपोर्ट के अनुसार ऑनलाइन गेम्स बच्चों के व्यवहार पर काफी असर डाल रहे हैं। विशेषकर हिंसक प्रवृत्ति वाले गेम्स मस्तिष्क पर ज्यादा असर डाल रहे हैं।
यहां अटका है मामला
ऑनलाइन गेमिंग की श्रेणी में कौन से खेल शामिल किए जाएं, इसे परिभाषित करने को लेकर मामला अब तक अटका रहा है। अभी इन्हें ‘कौशल वाले खेलों’ और ‘किस्मत आजमाने वाले खेलों’ की श्रेणी में रखा जा रहा है। इसी के आधार पर जीएसटी लगाने की बात कही गई। अभी ‘किस्मत आजमाने वाले खेलों’ पर 28 फीसदी की दर से और ‘कौशल वाले खेलों’ पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगता है।
कई राज्य प्रतिबंध के पक्ष में
देश में ऑनलाइन गैंबलिंग व ऑनलाइन गेमिंग के बीच कोई स्पष्ट कानूनी अंतर नहीं है। अधिकांश ऑनलाइन गेमिंग पोर्टल, जिनमें सट्टेबाजी या गैंबलिंग (जुआ) शामिल है, वो अपने ऐप या उत्पाद को ‘कौशल वाले खेलों’ के तौर पर बताते हैं। अधिकांश राज्य सरकारें ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने के समर्थन में हैं। तमिलनाडु सरकार का तर्क है कि इन ऑनलाइन सट्टेबाजी खेलों में किशोर और वयस्क अपनी पूरी कमाई और बचत खो रहे हैं।