सचिन पायलट लगे किनारे, अशोक गहलोत के साथ; कांग्रेस राजस्थान में नहीं करना चाहती पंजाब वाली बात
नई दिल्ली
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने पूर्व मुख्यमंत्री वसंधुरा राजे सिंधिया के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच की मांग को लेकर 11 अप्रैल को अनशन करने का ऐलान किया है। लेकिन पार्टी पायलट के इस कदम से नाराज है। पार्टी पायलट से दूरी बनाते हुए पूरी तरह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ खड़ी दिख रही है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ''मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में सरकार ने बड़ी संख्या में योजनाओं को लागू किया है। सरकार की कई पहलों ने लोगों को गहराई से प्रभावित किया है। पार्टी चुनाव में ऐतिहासिक उपलब्धियों और संगठन के सामूहिक प्रयासों के दम पर लोगों से फिर सेवा करने के लिए वोट मांगेगी।'' इस बयान में सचिन पायलट और उनकी मांगों का कोई जिक्र नहीं है। मतलब साफ है कि पार्टी इस वक्त गहलोत के मुकाबले पायलट को तरजीह देने के हक में नहीं है।
कांग्रेस ने पंजाब से ली सीख
कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, किसी भी मुख्यमंत्री को हटाना बेहद मुश्किल होता है। पिछले साल अशोक गहलोत को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाकर बदलाव की कोशिश हुई थी, लेकिन पार्टी राजस्थान को पंजाब बनाना नहीं चाहती है।
सचिन पायलट को तरजीह देने के मूड में नहीं कांग्रेस
पार्टी के इस रुख से साफ है कि कांग्रेस सचिन पायलट के अनशन को बहुत तरजीह देने के हक में नहीं है। पायलट के अनशन की तिथि को भी शक की नजर से देख रही है। दरअसल, 11 अप्रैल को समाज सुधारक ज्योतिबा फूले की जयंती है। उनकी जयंती को माली समाज बहुत धूमधाम से मनाता है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी खुद को माली सैनी समाज से बताते हैं। इसलिए, पार्टी पायलट को ज्यादा अहमियत नहीं दे रही है।
पायलट के खिलाफ कार्रवाई की मांग
इस बीच, पार्टी के अंदर एक तबका सचिन पायलट के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहा है। प्रदेश कांग्रेस के एक नेता के मुताबिक, पायलट और उनके समर्थकों की मांग के बाद जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थकों को कारण बताओं नोटिस जारी किए गए थे, तो अब अपनी पार्टी को मुख्यमंत्री के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर धरना देने के लिए पायलट को नोटिस जारी किया जाना चाहिए। हालांकि, पार्टी ऐसी किसी संभावना से इनकार कर रही है।