November 16, 2024

पिता चलाते है पान की दुकान, बेटी ने SDM बनकर बढ़ाया मान

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गोंडा

इस बार यूपी में पीएससी के रिजल्ट में लड़कियों का दबदबा रहा है. टॉप 10 में 8 लड़कियों ने जगह बनाई. आज हम यूपी की एक नई एसडीएम के बारे में आपको बताने जा रहे हैं. हम बात कर रहे हैं ज्योति चौरसिया की. ज्योति चौरसिया ने इस साल यूपीपीएससी में 21 वां स्थान हासिल किया है. ज्योति यूपी के ही गोण्डा की रहने वाली हैं. ज्योति के पिता पान की दुकान चलाते हैं. जरा सोचकर देखिए उस पान की दुकान चलाने वाले उस पिता को कितना गर्व हो रहा होगा जिसकी बेटी यूपी में एसडीएम बन गई. हालांकि इसका क्रेडिट भी ज्योति ने अपने माता पिता को दिया है.

ज्योति ने यह मुकाम हासिल करने के लिए दिन रात मेहनत की है. उन्होंने इसके लिए 4 अटेंप्ट पहले दिए उसके बाद पांचवे अटेंप्ट में उन्हें सफलता मिली है. यह फल ज्योति के पूरे परिवार की कुल मिलाकर 5 साल की तपस्या का फल उन्हें मिला है. ज्योति का कहना है कि उनके माता-पिता ने लंबे समय तक उन पर भरोसा जताया, जिससे उन्हें बेहतर करने के लिए मोटिवेशन मिला. जिसका रिजल्ट आज सबके सामने है.

364 कैंडिडेट्स ने क्लियर किया UPPSC

कुल सफल 364 कैंडिडेट्स में यूपी के 67 जिलों में से कुल 334 युवाओं ने सफलता प्राप्त करके अपने जिले का और अपने परिवार का नाम रोशन किया है. बाकी 30 कैंडिडेट्स अन्य राज्यों से ताल्लुक रखते हैं. मुख्य परीक्षा में कुल 1071 कैंडिडेट्स शामिल हुए थे. कुल 39 एसडीएम के पदों में से 19 लड़कियां एसडीएम बनेंगी. वहीं कुल 364 कैंडिडेट्स में 110 फीमेल कैंडिडेट्स ने सफलता हासिल की है.

आर्थिक तंगी के चलते बेटे संभाला परिवार, बेटी ने साकार किया सपना

ज्योति के पिता हेम चंद चौरसिया मूल रूप से देवरिया जिले के निवासी हैं, वे 1997 में गोंडा आकर बसे और पान की दुकान से ही बच्चों को पढ़ाया इस काबिल बनाया. ज्योति के पिता की पान भंडार की दुकान शहर के गुरु नानक चौराहे के पास है. उन्होंने बताया कि आज मन बहुत प्रसन्न है, बेटी ने वह कर दिखाया जिसकी उम्मीद बेटे से की थी, लेकिन आर्थिक संकट के चलते वह न कर सका. उनका कहना है कि बेटी या बेटा जो भी हो प्रतिभावान हो परिजनों को उसको आगे बढ़ाने में मदद करनी चाहिए.

ज्योति के पिता ने बताया कि वे गोंडा जॉब के सिलसिले में अकेले आये थे. असफल होने पर फरवरी 1997 में लकड़ी की ढाबली में पान की दुकान खोली. बाद में बच्चों को गोंडा ले आए और गोंडा के ही होकर रह गए. उनका एक बेटा है और 2 बेटियां हैं. सभी की शिक्षा गोंडा में ही हुई. बड़ा बेटा संदीप भी पढ़ने में तेज था उसने कई कॉम्पटीशन दिए लेकिन सफलता नहीं मिली. क्योंकि घर की माली हालत ठीक नहीं थी इसलिए वह भी पान की दुकान पर पापा हेम चंद के साथ बैठने लगा. ज्योति का कहना है कि बड़े भाई ने अपने सपने को मेरे सफलता से साकार किया. उसके असली मोटिवेटर उसके मम्मी पापा और भाई हैं.

 

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