November 29, 2024

भारत को धर्मसंकट में डाल गईं यूक्रेन की मंत्री? पाकिस्तान संग रिश्तों पर दी सफाई

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 नई दिल्ली

यूक्रेन की उप विदेश मंत्री एमीन जारापोवा भारत दौरे पर हैं और लगातार समर्थन जुटाने की कोशिशें कर रही हैं। इसी कहा जा रहा है कि उनका प्रस्ताव भारत को धर्मसंकट में डाल सकता है। दरअसल, इसके तार G-20 बैठक से जुड़े हैं, जहां यूक्रेन को आमंत्रित नहीं किया गया है और मंत्री संकेत दे रही हैं कि राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की कार्यक्रम में शामिल होना चाहते हैं। अब विस्तार से समझते हैं। मंगलवार को जारापोवा ने कहा कि सितंबर में आयोजित होने वाले आगामी G-20 शिखर सम्मेलन को संबोधित करने में जेलेंस्की को खुशी होगी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि G20 बैठकों में यूक्रेन के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है।

धर्मसंकट की वजह
खास बात है कि संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन के राष्ट्रपति के संबोधन के पक्ष में भारत ने मतदान किया था। जबकि, रूस इसके खिलाफ था। ऐसे में भारत इस प्रस्ताव को लेकर काफी असमंजस में पड़ सकता है। खास बात है कि जेलेंस्की वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पहले भी बाली में G20 शिखर सम्मेलन को संबोधित कर चुके हैं।

भारत से उम्मीद
जारापोवा ने उम्मीद जताई है कि ग्लोबल लीडर और जी20 का मौजूदा अध्यक्ष होने के चलते भारत शांति स्थापित करने में अहम भूमिका निभा सकता है। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई है कि भारतीय पक्ष जल्द कीव का दौरा करेगा। उन्होंने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के मॉस्को दौरे का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वह युद्ध शुरू होने के बाद तीन बार रूस जा चुके हैं।

उन्होंने कहा कि वह संतुलन के लिहाज से कीव का दौरा भी कर सकते हैं। भारत की भूमिका को लेकर उन्होंने कहा, 'हम फिर बड़ी गंभीरता से कह रहे हैं कि रूस के साथ होना इतिहास के गलत हिस्से में शामिल होना है। रूस का समर्थन करने का मतलब है कि दुनिया की बुरी तस्वीर का हिस्सा होना।' उन्होंने बताया कि वह भारत के साथ बेहतर और गहरे संबंधों का सुझाव लेकर पहुंची हैं।

पाकिस्तान से रिश्तों पर सवाल
यूक्रेन और पाकिस्तान के रिश्तों पर जारापोवा ने कहा, 'पाकिस्तान के साथ संबंध कभी भी भारत के साथ रिश्तों के खिलाफ नहीं हैं। मैं जानती हूं कि सैन्य समझौतों को लेकर कुछ संवेदनशीलताएं हैं, लेकिन मैं साफ कर दूं कि ये समझौते 1990 के समय से ही हैं।'

 

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