November 27, 2024

उत्तर प्रदेश-बिहार के मुकाबले इस राज्य में सबसे कम है महंगाई

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नई दिल्ली

रिजर्व बैंक और सरकार की ओर से महंगाई पर अंकुश के लिए उठाए कदमों का असर दिखने लगा है, जिससे मार्च की खाद्य मुद्रास्फीति में बड़ी गिरावट आई है। राज्यों में सबसे कम महंगाई छत्तीसगढ़ तो सबसे अधिक तेलंगाना में रही। ग्रामीण में महंगाई दर 6.72% से घटकर 5.51% पर आ गई है। जबकि, शहरी मुद्रास्फीति भी 6.10% से  5.89% पर आई है। मार्च में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 4.79 फीसद रही।

सरकार की ओर से बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल मार्च में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 4.79 फीसद पर आ गई। एक साल पहले वर्ष 2022 के मार्च में खाद्य मुद्रास्फीति 7.68 फीसद थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार इस साल फरवरी में खाद्य मुद्रास्फीति 5.95 फीसद थी। विशेषज्ञों का कहना है कि खुदरा महंगाई के साथ खाद्य महंगाई दर में गिरावट बेहद अहम है। सरकार और रिजर्व बैंक पिछले कई साल से महंगाई पर अंकुश के लिए मिलकर काम कर रहे हैं और इसके लिए कई कदम उठाए जा चुके हैं। रिजर्व बैंक ने महंगाई पर अंकुश के लिए पिछले साल मई से रेपो दर में 2.50 फीसद का इजाफा किया है।

इससे कर्ज काफी महंगे हो गए हैं जिससे उपभोक्ता संभलकर खर्च कर रहे हैं। वहीं सरकार ने खाद्य तेलों को आयात पर शुल्क हटाने के साथ दलहन पर भी शुल्क में भारी कटौती की है। इससे कीमतों में कमी लाने में मदद मिली है। इसके अलावा गेहूं के निर्यात पर पाबंदी के साथ खुले बाजार में बफर से स्टॉक से प्याज की बिक्री की गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन सब प्रयास का असर अब होता हुआ दिख रहा है।

किस राज्य में कितनी महंगाई
    छत्तीसगढ़ 1.88
    दिल्ली 3.44
    झारखंड 4.26
    बिहार 5.03
    केरल 5.76
    महाराष्ट्र 5.93
    राजस्थान 5.99
    उत्तर प्रदेश 6.01
    गुजरात 6.18
    आंध्र प्रदेश 6.55
    तमिलनाडु 6.68
    उत्तराखंड 6.73
    पंजाब 6.84
    हरियाणा 6.92
    तेलंगाना 7.63

वैश्विक अनिश्चितता से खतरा बरकरार
इस माह की शुरुआत में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि दरों को स्थिर रखने का फैसला अंतिम नहीं है और इसमें किसी भी बदलाव के लिए तैयार रहना होगा। दास ने कहा था कि आरबीआई को चालू वित्त वर्ष में महंगाई दर 5.2 फीसद रहने का अनुमान है लेकिन यह कई बातों पर निर्भर करता है। आरबीआई ने कच्चे तेल का औसत दाम 85 डॉलर प्रति बैरल मानकर आकलन किया है। लेकिन तेल उत्पादक देशों से संगठन ओपेक द्वारा उत्पादन घटाने के बाद जिस तरह से दाम में उछाल आया है उससे महंगाई के फिर भड़कने का खतरा कायम है।

 

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