क्या है इष्टलिंग और शिवयोग जिसके बारे में और जानना चाहते हैं राहुल गांधी, कर्नाटक में बोले- मुझे फायदा होगा
हुबली
कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस समय कर्नाटक के दौरे पर हैं। कर्नाटक में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में राहुल गांधी का यह दौरा काफी अहम माना जा रहा है। राहुल मंगलवार शाम हुबली पहुंचे। पार्टी बैठक में शामिल होने के बाद उन्होंने बुधवार को पार्टी नेताओं डीके शिवकुमार और केसी वेणुगोपाल के साथ चित्रदुर्ग में श्री मुरुघा मठ का दौरा किया। श्री मुरुघा मठ का लिंगायत समुदाय में बड़ा महत्व है। इस दौरान राहुल ने अपने दिल की बात रखी। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि वे इष्टलिंग और शिवयोग के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, राहुल गांधी ने कहा, "मैं पिछले कुछ समय से बसवन्ना जी को फॉलो कर रहा हूं और उनको पढ़ रहा हूं। इसलिए, यहां होना मेरे लिए एक वास्तविक सम्मान की बात है। मेरा एक निवेदन है, अगर आप मेरे पास कोई ऐसा व्यक्ति भेज सकते हैं जो मुझे इष्टलिंग और शिवयोग के बारे में विस्तार से बता सके, तो मुझे शायद इससे फायदा होगा।" इस दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चित्रदुर्ग में श्री मुरुघा मठ के द्रष्टा डॉ श्री शिवमूर्ति मुरुघ शरणारू से लिंग दीक्षा ग्रहण की। आमतौर पर, लिंगायत समुदाय के लोग क्रिस्टल से बना इष्टलिंग पहनकर इस अनुष्ठान को करते हैं।
बसवन्ना कौन थे?
राहुल ने बसवन्ना का जिक्र किया। लेकिन क्या आपको पता है कि बसवन्ना कौन थे? बसवन्ना को बसव भी कहा जाता है। वे 12वीं शताब्दी के एक महान समाज सुधारक थे। समाज सुधारक होने के अलावा वे एक महान दार्शनिक, कवि व शिव भक्त थे। उन्होंने लिंगायत धर्म की स्थापना की थी। इस धर्म में भगवान शिव की पूजा की जाती है। बता दें कि लिंगायत और वीरशैव कर्नाटक के दो बड़े समुदाय हैं। ऐसे में चुनाव से पहले राहुल का श्री मुरुघा मठ जाना काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि श्री मुरुघा मठ लिंगायत समुदाय के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल है।
क्या है इष्टलिंग?
इष्टलिंग आमतौर पर गले में पहने जाने वाले भगवान शिवलिंग को कहते होते हैं। लिंगायत धर्म के अनुयायी हमेशा हार के साथ इष्टलिंग धारण करते हैं। यह हल्के भूरे रंग के स्लेट पत्थर से बना होता है। इष्टलिंग पहनने वाले भगवान शिव की आराधना करते हैं। इष्टलिंग को गले में पहना जा सकता है और ये एक जगह पर स्थिर नहीं होता। कहते हैं कि जब भी किसी लिंगायत को पूजा करनी होती है वो अपने गले के इस शिवलिंग को अपनी हथेली पर रख कर प्रार्थना करते हैं।
क्या है शिवयोग?
शिवयोग एक दिव्य योग है। कहते हैं कि जब भी किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में यह योग बनता है तो उसे कई लाभ होते हैं। यह एक दुर्लभ योग है जो तब होता है जब नवम भाव का स्वामी दशम भाव में और दशम भाव का स्वामी पंचम भाव में हो।
राजनीतिक समीकरण साधना चाहते हैं राहुल
राहुल ने कर्नाटक के चित्रदुर्ग में श्री मुरुगा मठ का दौरा किया। कयास लगाए जा रहे हैं कि राहुल गांधी विधानसभा चुनाव से पहले लिंगायत समुदाय को अपनी ओर लाकर राजनीतिक समीकरण साधना चाहते हैं। कर्नाटक में फिलहाल बीजेपी की सरकार है और कांग्रेस अपना वोट बैंक बढ़ाने की कोशिश कर रही है।