घरों और मस्जिदों में इफ्तार के बाद सुबह तक चलता रहा इबादतों का सिलसिला
भिलाई
रमजान महीने के आखिरी अशरे (दस दिन) रोजेदार बड़े शौक और जोक से रोजा रखने के साथ इबादत में मशगूल हैं। मंगलवार को 26 वां रोजा और 27 वीं शब (रात) होने की वजह से मस्जिदों और घरों में रौनक रही। रोजेदारों ने मिलजुल कर इफ्तार किया और रात से सुबह तक डूब कर इबादत की। सुबह के वक्त शहर की तमाम मस्जिदों में सहरी का इंतजाम भी किया गया। शबे कद्र में इबादत का सिलसिला जारी रहा।
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड शाखा भिलाई के काजी ए शहर भिलाई-दुर्ग छत्तीसगढ़ मुफ्ती मोहम्मद सोहेल और सेवानिवृत्त बीएसपी कर्मचारी डा सैयद इस्माईल ने इस मौके पर कहा कि शब्रे कद्र यानि रमजान महीने की 27 वी शब (रात) की बड़ी फजीलत आई है हजरत अनस रजि.कहते है एक मर्तबा रमजान मुबारक का महीना आया तो हज?त मुहम्मद सल्ललाहु अलैहिस्सलाम ने फ?माया कि तुम्हारे ऊपर एक महीना आया है जिसमें एक रात है जो हजार महीनों से अफजल है जो शख्स इस रात से महरूम रह गया। गोया सारी ही खैर से महरूम रह गया और इसकी भलाई से महरूम नहीं रहता मगर वो शख्स जो हकीकतन महरूम ही है।
उन्होंने कहा कि जो इस रात इबादत करेगा उसको 83 बरस इबादत का सवाब मिलेगा। अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहिस्सलाम ने फ?माया कि लैलतुल कद्र पिछली उम्मतो (कौम) को नही दी गई। ये खास मेरी उम्मत को अल्लाह के तरफ से दी गई है। इसकी एक वजह उलेमा ने लिखी है शेखुल हदीस हजरत मौलाना जकरिया रहमतुल्लाह ने अपने रिसाले रमजान मुबारक के फजाइल में जिक्र किया है कि पिछले उम्मत के लोगों की उम्र ज्यादा थी।
वे लोग 800 बरस तक अल्लाह की इबादत मशगूल रहे जिससे अल्लाह के रसूल को रंज हुआ कि मेरी उम्मत की उम्र कम है। जिस पर ये रात दी गई। अगर कोई शख्स जिंदगी में 10 राते भी पा कर उसको इबादत में मशगूल हो जाए तो गोया उसने 830 बरस इबादत करने का सवाब मिलेगा। इसके अलावा इसमें अल्लाह की रहमत बरसती है। बंदों के गुनाहों को माफ किया जाता है।