नरोदा गांव दंगे में 21 साल बाद आज फैसला, 86 आरोपियों में से 18 की मौत
अहमदाबाद
गुजरात के नरोदा गाम में हुए दंगों के मामले में स्पेशल कोर्ट आज फैसला सुना सकती है. 2002 में हुए इन दंगों में 11 लोगों की मौत हुई थी. गुजरात की पूर्व मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी समेत 86 आरोपियों पर यह केस चल रहा है. हालांकि, 86 में से 18 की मौत हो चुकी है. SIT मामलों के विशेष जज एस के बक्शी की कोर्ट 20 अप्रैल यानी आज 68 आरोपियों के खिलाफ फैसला सुनाएगी.
2002 में गोधरा में चलती ट्रेन में आग लगा दी गई थी. इस हादसे में 58 लोगों की मौत हो गई थी. गोधरा कांड के विरोध में अगले दिन बंद बुलाया गया था. इस दौरान अहमदाबाद के नरोदा गाम में सांप्रदायिक हिंसा फैल गई थी. इसमें 11 लोगों की मौत हो गई थी. आइए जानते हैं कि ये पूरा मामला क्या है और इसमें अब तक क्या क्या हुआ?
क्या है गोधरा कांड?
तारीख 27 फरवरी 2002, उत्तर प्रदेश के अयोध्या से साबरमती एक्सप्रेस गुजरात पहुंची थी कि यहां गोधरा में ट्रेन को घेरकर आग लगा दी गई. कारसेवकों से भरी इस ट्रेन में हुई आगजनी से 58 लोगों की मौत हो गई थी. गोधरा कांड के अगले दिन ही गुजरात में दंगों की शुरुआत हुई थी.
28 फरवरी: नरोदा गाम और नरोदा पाटिया में हुए थे दंगे
– 27 फरवरी 2002 को गोधरा कांड के बाद गुजरात बंद का ऐलान हुआ था. 28 फरवरी को नरोदा इलाके में कुछ लोगों की भीड़ दुकानें बंद कराने लगीं. सुबह 9 बजे से ऊपर का वक्त हुआ होगा, भीड़ काफी बढ़ चुकी थी, घरों के दरवाजे बंद थे. इसी बीच भीड़ में से ही हिंसा होने लगी, पत्थर फेंके जाने लगे, कुछ ही मिनट में नरोदा गाम इलाके का पूरा हुलिया बदल गया. वहां चारों तरफ आगजनी, तोड़फोड़ जैसे मंजर नजर आने लगे और 11 लोगों की मौत हो गई. नरोदा गाम और नरोदा पाटिया इलाके दोनों ही हिंसा के निशाने पर रहे और नरोदा पाटिया में 97 लोगों की मौत सामने आई थी.
– नरोदा गाम और नरोदा पाटिया में जो नरसंहार हुए थे, इसके बाद ही पूरे गुजरात में दंगे फैल गए थे. मामले में SIT की जांच बैठी और इस मामले में एसआईटी ने माया कोडनानी को मुख्य आरोपी बनाया था. माया कोडनानी राज्य सरकार में पूर्व मंत्री रही हैं. लगभग दस घंटे तक चले इन नरसंहार के बाद पूरे गुजरात में दंगे फैल गए. राज्य के 27 शहरों और कस्बों में कर्फ्यू लगाना पड़ा था. इस दौरान नरोदा में तमाम मुस्लिम घरों को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया था.
– नरोदा गाम नरसंहार के मामले में आरोपियों पर आईपीसी की धारा 302 हत्या, 307 हत्या की कोशिश, 143 , 147 दंगे, 148, 129 B, 153 के तहत केस चलाया जा रहा है. इनमें अधिकतम सजा मौत तक है.
– इस मामले में कोडनानी पर हत्या, हत्या की कोशिश, दंगों के अलावा साजिश रचने जैसे आरोप हैं.
– इससे पहले कोडनानी को विशेष अदालत ने नरोदा पाटिया दंगों के मामले में 28 साल की सजा सुनाई थी. इन दंगों में 97 लोगों की मौत हुई थी. हालांकि, हाईकोर्ट ने कोडनानी को बरी कर दिया था.
केस में अब तक क्या क्या हुआ?
– इस मामले की सुनवाई 2009 से शुरु हुई थी. अब तक 187 लोगों से पूछताछ हो चुकी है. जबकि 57 चश्मदीद के बयान भी दर्ज किए गए हैं. इस मामले में 13 साल से सुनवाई चल रही है. सितंबर 2017 में अमित शाह माया कोडनानी के बचाव पक्ष के गवाह के रूप में पेश हुए थे. माया कोडनानी दंगों के वक्त गुजरात की मोदी सरकार में मंत्री थीं. अमित शाह ने कोर्ट में बताया था कि
– कोडनानी ने कोर्ट से अपील की थी कि उन्हें यह साबित करने के लिए कोर्ट में बुलाया जाए कि वे नरसंहार के वक्त नरोदा में मौजूद नहीं थीं, वे उस वक्त गुजरात विधानसभा और इसके बाद सोला सिविल अस्पताल में थीं. माया कोडनानी सुबह के वक्त उनके साथ गुजरात विधानसभा में थी. वहीं, दोपहर में वे गोधरा ट्रेन हत्याकांड में मारे गए कार सेवकों के शवों को देखने के लिए सिविल अस्पताल पहुंची थीं. जबकि कुछ चश्मदीद ने कोर्ट में गवाही दी है कि कोडनानी दंगों के वक्त नरोदा में थीं.
नरोदा पाटिया दंगों में अब तक क्या क्या हुआ?
गुजरात में वर्ष 2002 में हुए दंगों के दौरान अहमदाबाद में स्थित नरोदा पाटिया इलाके में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी. इस दंगे में 33 लोग घायल भी हुए थे. इस घटना को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन को जलाए जाने के एक दिन बाद अंजाम दिया गया था. दरअसल, साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन को जलाए जाने के बाद विश्व हिन्दू परिषद (VHP) ने बंद का आह्वान किया था. इस दौरान ही नरोदा पाटिया इलाके में उग्र भीड़ ने अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हमला कर दिया था.
28 फरवरी 2002:- नरोदा गाम के साथ साथ नरोदा पाटिया में वीएचपी ने गोधरा कांड के विरोध में बंद की अपील की थी. इसी दौरान यहां दंगा फैल गया था.
2009:- नरोदा पाटिया कांड का मुकदमा शुरू हुआ. इसमें 62 आरोपियों के खिलाफ आरोप दर्ज किए गए थे. सुनवाई के दौरान एक अभियुक्त विजय शेट्टी की मौत हो गई. अदालत ने सुनवाई के दौरान 327 लोगों के बयान दर्ज किए. इनमें पत्रकार, कई पीड़ित, डॉक्टर, पुलिस अधिकारी और सरकारी अधिकारी शामिल थे.
2012: अगस्त में एसआईटी मामलों के लिए विशेष अदालत ने बीजेपी विधायक और राज्य की नरेन्द्र मोदी सरकार में पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बाबू बजरंगी को हत्या और षड्यंत्र रचने का दोषी पाया. इसके अलावा 32 अन्य को भी दोषी ठहराया गया था. कोडनानी को 28 साल की सजा हुई, जबकि बाबू बजरंगी को आजीवन कारावास की सजा हुई. विशेष अदालत के फैसले को दोषियों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी.