मोदी सरकार की नीतियों से खेत, किसान पर आया संकट : भूपेंद्र सिंह हुड्डा
नई दिल्ली
कांग्रेस ने सरकार की नीतियों को किसान विरोधी बताते हुए गुरुवार को कहा कि उसने किसानों से जुड़ी कई योजनाओं का बजट और उनमें मिलने वाली सब्सिडी को घटा दिया है जिसके कारण किसान, खेती और खेतिहर मजदूरों पर संकट आ गया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आज यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा,“ आज पूरे देश में खेती और किसान संकट में हैं। मोदी सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का सपना दिखाया था। मोदी सरकार में किसानों की आमदनी तो नहीं बढ़ी लेकिन कर्ज कई गुना जरूर बढ़ गया है।”
हुड्डा ने मोदी सरकार को किसान विरोधी बताते हुए कहा कि इस सरकार की सारी नीतियां खेती और किसान के खिलाफ हैं और यही वजह है कि उसने किसानों से जुड़ी कई योजनाओं का बजट और उनमें मिलने वाली सब्सिडी को घटा दिया है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को 15500 करोड़ रुपये से घटाकर 13625 करोड़ रुपये कर दिया है। इसी तरह से प्रधानमंत्री किसान निधि योजना को भी 68 हजार करोड़ रुपये से घटाकर 60 हजार करोड़ रुपया किया गया है। मनरेगा को भी 70 हजार करोड़ रुपये से घटाकर 60 हज़ार करोड़ रुपया किया गया है। किसानों के लिए पेट्रोलियम सब्सिडी भी घटाई गई है। खाद्य सब्सिडी भी कम की गई है जिसका किसानों पर सबसे ज्यादा बुरा असर होने वाला है।
हुड्डा ने सरकार की नीतियों को किसान विरोधी बताते हुए कहा कि इस सरकार ने प्रधान मंत्री बीमा योजना लागू की लेकिन यह योजना किसान के लिए फायदेमंद नहीं है बल्कि उसका सीधा लाभ निजी बीमा कंपनियों को मिल रहा है और इन निजी कंपनियों के लिए यह लाभ की योजना बन गयी है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा) ने किसानों से उनकी आय दोगुना करने का वादा किया था। भजपा ने तब कहा था कि किसानों की आय दोगुनी करेंगे, आज किसान की आय दोगुना तो नहीं हुई लेकिन खेती किसानी की लागत जरूर दोगुनी से ज्यादा हो गई है। सरकार ने जो जीएसटी लागू किया उसकी ज्यादा मार किसानों पर पड़ी है। कांग्रेस के समय उर्वरक, कीटनाशक और ट्रैक्टर के पुर्जों पर कर नहीं था लेकिन अब किसान को इन सब पर कर देना पड़ रहा है।
उन्होंने किसान आंदोलन के समय सरकार के आंदोलन खत्म करने के लिए किए गए वादे को लेकर कहा कि मोदी सरकार ने किसान आंदोलन के समय न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) के वास्ते लीगल गारंटी देने की बात कही थी लेकिन वास्तविकता यह है कि आज भी किसानों को एमएसपी नहीं मिल रही है।