November 28, 2024

भारतीय-अमेरिकी मंच ने भारतीय मिशन एवं संस्थानों पर तोड़-फोड़ की बढ़ती घटनाओं की निंदा की

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वाशिंगटन
 कम से कम 44 भारतीय अमेरिकी संगठनों ने अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को, ब्रिटेन के लंदन और ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन स्थित भारतीय राजनयिक मिशन पर हुए हालिया हमलों और विभिन्न भारतीय संस्थानों में तोड़-फोड़ की घटनाओं की निंदा करते हुए कहा कि इन मामलों के कारण समुदाय डरा हुआ और सकते में हैं।

‘‘इंडियन डायस्पोरा अगेंस्ट हेट’’ के बैनर तले देश भर के विविध सांस्कृतिक, भाषाई और धार्मिक पृष्ठभूमि के कई प्रतिष्ठित भारतीय-अमेरिकियों और संगठनों ने एक हस्ताक्षरित पत्र जारी कर हिंसक हमलों की निंदा की। इस पत्र में उन्होंने नगर निकाय अधिकारियों और कानून प्रवर्तन अधिकारियों से भारतीय-अमेरिकी समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया।

खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने पिछले महीने सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला कर उसे नुकसान पहुंचाया था। इस हमले की भारतीय-अमेरिकियों ने कड़ी निंदा की है।

कट्टरपंथी अमृतपाल सिंह के समर्थन में खालिस्तान समर्थक झंडे और बैनर लेकर प्रदर्शनकारियों का एक समूह पिछले महीने लंदन के ‘पार्लियामेंट स्क्वायर’ पर एकत्र हुआ था।

विभिन्न शहरों एवं भौगोलिक स्थानों के भारतीय-अमेरिकियों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों और समुदाय के सदस्यों ने नागरिकों से घृणा फैलाने वाले समूहों के प्रति सतर्क रहने और उनके बारे में प्रशासन को सूचित करने का आग्रह किया।

उन्होंने अमेरिकी गृह मंत्रालय और विधि मंत्रालय से चरमपंथियों की गतिविधियों पर नजर रखने, घृणित हमलों को रोकने और घृणा फैलाने वाले अपराधियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने का आग्रह किया है।

हृदय रोग विशेषज्ञ और समुदाय के नेता डॉ. रोमेश जापरा ने कहा, ‘‘हिंदू समुदाय के कई नेताओं को धमकी दी गई है और उन्होंने हाल में मेरे आवास पर हमला भी किया।’’

सामाजिक कार्यकर्ता मधु एच ने कहा, ‘‘खालिस्तानी कट्टरपंथियों का हिंसा का एक पुराना और दुखद इतिहास रहा है। वे 1985 में ‘एअर इंडिया’ के विमान में बम विस्फोट की घटना के लिए जिम्मेदार थे, जिसमें 300 लोगों की मौत हो गई थी।’’

पत्र में सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले की निंदा करने के संबंध में अमेरिकी विदेश मंत्रालय और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज के बयानों का स्वागत किया गया है।

 

 

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