November 28, 2024

MP में सत्ता बचाने के लिए भाजपा ने शुरू की तैयारी, इन 14 नेताओं की रिपोर्ट से तय होंगे कैंडिडेट

0

भोपाल

मध्य प्रदेश में बीते दो दशकों से सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस बार विधानसभा चुनावों को लेकर काफी सतर्कता बरत रही है। पार्टी एक-एक जिले का फीडबैक ले रही और उसके बड़े नेता सभी कार्यकर्ताओं से सीधा संपर्क कर रहे। हर जिले की रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व के भी संज्ञान में रहेगी और वह विधानसभा चुनाव में टिकट तय करने का बड़ा आधार बनेगी। इन नेताओं ने संपर्क का एक दौर पूरा कर लिया है।

मध्य प्रदेश में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। बीते चुनाव में भाजपा को कांग्रेस से पिछड़ना पड़ा और सरकार गंवानी पड़ी। बाद में कांग्रेस में हुए विभाजन से भाजपा को फिर से सरकार बनाने का मौका मिला। हालांकि पार्टी अपनी भावी रणनीति पिछले चुनाव नतीजों के आधार पर ही तय कर रही है, इसलिए एक-एक सीट का गंभीर अध्ययन किया जा रहा। हाल में भाजपा नेतृत्व ने राज्य के 14 प्रमुख नेताओं नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, गोपाल भार्गव, माखन सिंह, कृष्ण मुरारी मोघे, प्रभात झा, सत्यनारायण जटिया, फग्गन सिंह कुलस्ते, राकेश सिंह, सुधीर गुप्ता, लाल सिंह आर्य, जयभान सिंह पवैया, राजेंद्र शुक्ल और माया सिंह के बीच जिलों की जिम्मेदारी सौंपी थी।

इन नेताओं में राज्य सरकार के केवल एक मंत्री गोपाल भार्गव शामिल थे। सूत्रों के अनुसार इन सभी नेताओं ने अपने-अपने जिलों का दौरा कर रिपोर्ट को राज्य नेतृत्व के साथ साझा किया। इस दौरान विधायकों, सांसदों, राज्य सरकार के प्रभारी मंत्रियों व अन्य मुद्दों पर कार्यकर्ताओं की राय जानी गई। कई क्षेत्रों में पार्टी के मौजूदा विधायकों को लेकर नाराजगी भी सामने आई। खास बात यह है कि इन नेताओं के सामने कई जगह कार्यकर्ताओं ने भावी चेहरे को लेकर भी राय दी।

भाजपा के भीतर राज्य में जरूरी संगठनात्मक बदलाव की बात उठती रही है। अब विधायकों व मंत्रियों को लेकर आई रिपोर्ट पार्टी के लिए चिंताजनक है। माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट के बाद विधायकों व मंत्रियों को क्षेत्र में सक्रियता व कार्यकर्ताओं के साथ संवाद व संपर्क को लेकर कड़ी हिदायत दी जाएगी। चूंकि यह रिपोर्ट आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट तय करने में अहम भूमिका निभाएगी, इसलिए भी इसका काफी महत्व है। पार्टी के एक प्रमुख नेता ने कहा है कि अब बड़े बदलावों के लिए ज्यादा समय नहीं बचा है। ऐसे में मौजूदा संगठनात्मक ढांचे को ही चाक-चौबंद किया जाएगा और सत्ता विरोधी माहौल पर अंकुश लगाने का काम किया जाएगा।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *