September 25, 2024

अंचल की प्रसिद्ध और रहस्यमय मंडीप खोल गुफा का प्राकृतिक द्वार खुलेगा आज, लगेगा मेला

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– 16 बार नदी को पार करने के बाद मिलेगी शिव की मंडीपखोल गुफा

– यह गुफा साल में सिर्फ एक बार अक्षय तृतीया के बाद आने वाले सोमवार को खुलती है।

रायपुर
खैरागढ़ जिले के पैलीमेटा अंचल की प्रसिद्ध और रहस्यमय मंडीप खोल गुफा का प्राकृतिक द्वार 24 अप्रैल 2023 को खुलेगा। यह गुफा साल में सिर्फ एक बार अक्षय तृतीया के बाद आने वाले सोमवार को खुलती है। छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिला अंतर्गत छुईखदान ब्लाक के अधीन आने वाली मंडीपखोल गुफा का प्राकृतिक और धार्मिक नजरिए से काफी महत्व है। यहां पहुंचने से पहले श्रद्धालु महागौरी और हनुमान का दर्शन करते हैं।

यह कहा जाता है कि यहां दर्शन के बाद गुफा के अंदर स्थित शिव मंदिर में दर्शन करना शुभकारी होता है। गुफा तक पहुंचने का मार्ग ठाकुरटोला चौक से शुरू होता है। गुफा तक पहुंचने के लिए जंगली रास्तों पर सफर करना पड़ता है वहीं एक नदी को अलग अलग जगहों से 16 बार पार करना पड़ता है। गुफा के अंदर प्रवेश से पूर्व यहां के जमींदार द्वारा पूजा अर्चना की जाती है। द्वार पर रखे विशाल पत्थर को हटाने के बाद फायरिंग की जाती है ताकि अंदर छुपे जंगली जानवर भाग जाएं।

अक्षय तृतीया के आने वाले पहले सोमवार 24 अप्रैल 2023 को उमड़ेगें श्रद्धालु
यह गुफा अक्षय तृतीया के बाद आने वाले पहले सोमवार को खुलती है। 24 अप्रैल 2023 को यहां मेले का आयोजन किया गया है। आसपास के ग्रामीणों के अलावा छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा,उड़ीसा, उत्तरप्रदेश, आंध्र प्रदेश,जम्मू-कश्मीर सहित देश विदेश के श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां पहुंचकर शिवदर्शन करेंगे। ठाकुरटोला के राज परिवार के सदस्यों द्वारा पूजा अर्चना के साथ दर्शन का सिलसिला शुरू हो जाएगा जो एक निश्चित अवधि तक चलेगा।

बेहद रहस्यमय है गुफा
गुफा के अंदर इतना अधिक अंधेरा रहता है कि लोगों को अपना ही हाथ दिखाई नहीं देता। यहां लोगों को रोशनी के लिए टार्च या मशाल का उपयोग करना पड़ता है। गुफा के अंदर रौशनी में जुगनू की तरह चमकते पत्थर दिखाई देते हैं। यहां कई शिवलिंग भी स्थापित हैं। गुफा में अनेक विचित्र रास्ते हैं। बताया जाता है कि इस गुफा के अंतिम छोर का कई कोशिशों के बाद पता नहीं लग पाया है। यहां की चमगादड़ खोल गुफा को सबसे पवित्र माना जाता है। इस गुफा तक पहुंचने के लिए रस्सी की सीढ़ी का उपयोग करना पड़ता है।

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