September 25, 2024

आशीष मिश्रा की जमानत 11 जुलाई तक बढ़ी

0

 नईदिल्ली
लखीमपुर खीरी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा की जमानत की अवधि 11 जुलाई तक बढ़ा दी है. सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण ने बेंच से कहा कि मामले में 200 गवाह हैं. हफ्ते में कम से कम दो गवाहों के बयान दर्ज कराने के लिए निचली अदालत को निर्देश दिया जाए. हालांकि बेंच ने इस पर कोई आदेश नहीं दिया. लेकिन आरोपी आशीष की अंतरिम जमानत को सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई तक बढ़ा दिया है.मामले की समीक्षा के लिए अगली सुनवाई जुलाई में होगी. 2021 में गाड़ी से कुचल कर हुई किसानों की हत्या के मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा का बेटा आशीष मुख्य आरोपी है.

कैसे शुरू हुआ विवाद?

रविवार को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य तय कार्यक्रम के तहत लखीमपुर खीरी के दौरे पर थे. उन्हें रिसीव करने के लिए गाड़ियां जा रही थीं. ये गाड़ियां केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की बताई गईं. रास्ते में तिकुनिया इलाके में किसानों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. इससे झड़प हो गई. बाद में ऐसा आरोप लगाया गया कि आशीष मिश्रा ने किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी, जिससे 4 लोगों की मौत हो गई. किसानों की मौत के बाद मामला बढ़ गया और हिंसा भड़क गई. हिंसा में बीजेपी नेता के ड्राइवर समेत चार लोगों की मौत हो गई. कुल मिलाकर इस हिंसा में अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है.

इस हिंसा में किस-किसकी मौत हुई?

1- रमन कश्यप ( स्थानीय पत्रकार)
2- दलजीत सिंह (32) पुत्र हरजीत सिंह- नापपारा, बहराइच (किसान)
3- गुरविंदर सिंह (20) पुत्र सत्यवीर सिंह- नानपारा, बहराइच (किसान)
4- लवप्रीत सिंह (20) पुत्र सतनाम सिंह- चौखडा फार्म मझगईं (किसान)
5- छत्र सिंह पुत्र अज्ञात (किसान)
6- शुभम मिश्र पुत्र विजय कुमार मिश्र, (बीजेपी नेता)
7- हरिओम मिश्र पुत्र परसेहरा, फरधान (अजय मिश्रा का ड्राइवर)
8- श्यामसुंदर पुत्र बालक राम सिंघहा, कलां सिंगाही (बीजेपी कार्यकर्ता)

हिंसा के बाद क्या हुआ?

इस हिंसा के बाद हालात न बिगड़ें, इसे ध्यान में रखते हुए इंटरनेट बंद कर दिया गया. वहीं, केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा के खिलाफ तिकुनिया थाने में केस दर्ज करवाया गया है.

आरोपों पर क्या बोले मंत्री और उनका बेटा?

अपने ऊपर लगे इन आरोपों को केंद्रीय मंत्री और उनके बेटे ने खारिज कर दिया है. केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ने आजतक से बातचीत में कहा कि कुछ लोगों ने काफिले पर हमला कर दिया था, जिससे ड्राइवर घायल हो गया. उन्होंने कहा कि हमारे तीन कार्यकर्ता और एक ड्राइवर की मौत हो गई है और गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया गया है. उनका कहना है कि वो भी इस मामले में केस दर्ज करवाएंगे.

वहीं, उनके बेटे आशीष मिश्रा ने दावा करते हुए कहा कि वो सुबह 9 बजे से बनवानीपुर में थे. उन्होंने कहा, हमारी 3 गाड़ियां एक कार्यक्रम के लिए उप-मुख्यमंत्री की अगवानी करने गई थीं. रास्ते में कुछ बदमाशों ने पथराव किया, कारों में आग लगा दी और हमारे 3-4 कार्यकर्ताओं को लाठी से पीटा. उन्होंने इस हिंसा की न्यायिक जांच की मांग भी की है.

योगी सरकार का क्या है कहना?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हिंसा को दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. इस घटना के बाद सीएम योगी ने ट्वीट करते हुए कहा कि लखीमपुर खीरी में हुई ये घटना दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि इसमें जो भी दोषी होंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

विपक्ष का क्या है कहना?

इस पूरी घटना को लेकर विपक्ष भी हमलावर हो गया है. देर रात ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा लखनऊ पहुंचीं और यहां से लखीमपुर के लिए रवाना हो गईं. प्रियंका सोमवार तड़के लखीमपुर पहुंच भी गई थीं, लेकिन उन्हें हरगांव के पास हिरासत में ले लिया गया. उन्हें सीतापुर गेस्ट हाउस में ठहराया गया है.

वहीं, सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव भी सुबह लखीमपुर खीरी जाने वाले थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया. इसके बाद अखिलेश सड़क पर ही धरने पर बैठ गए. अखिलेश ने कहा कि ये सरकार किसानों पर जैसा जुल्म कर रही है, वैसा जुल्म तो अंग्रेज भी नहीं करते थे. उन्हों केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे की मांग की है.

इस दौरान लखनऊ में अखिलेश के धरनास्थल के नजदीक थाने के सामने ही पुलिस की गाड़ी को आग के हवाले कर दिया गया. अखिलेश ने आरोप लगाया है कि ये गाड़ी पुलिस ने ही जलाई होगी.

राकेश टिकैत को भी रोका गया

किसान नेता राकेश टिकैत ने भी लखीमपुर की घटना के बाद वहां के लिए रात ही रवाना हो गए थे, लेकिन उनका काफिला भई पहले ही रोक लिया गया. टिकैत ने इससे पहले अपने बयान में कहा कि इस घटना ने सरकार के क्रूर और अलोकतांत्रिक चेहरे को एक बार फिर उजागर कर दिया है. सरकार भूल रही है कि अपने हक के लिए हम मुगलों और फिरंगियों के आगे भी नहीं झुके, किसान मर सकता है पर डरने वाला नहीं है. सरकार होश में आए और किसानों के हत्यारों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी सुनिश्चित करे.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *