बिहार में कालवैशाखी सक्रिय, 2-3 दिन रहेगी आंधी-पानी की स्थिति; अच्छी सेहत के लिए करें ये काम
बिहार
बिहार के अधिकतर शहरों में पिछले चार से पांच दिनों में मौसम में बड़ा बदलाव आया है। चार दिन पहले तक गर्मी से हांफ रहे अधिकतर शहरों में आजकल सुबह में ठंड का एहसास हो रहा है। 20 -21 अप्रैल तक पटना, खगड़िया, गया सहित अधिकतर शहरों में आसमान से आग बरस रही थी और अधिकतम तापमान रिकॉर्ड तोड़ रहा था।
बांका, जमुई, सुपौल दरभंगा जैसे शहर भीषण गर्मी से जूझ रहे थे। दो दर्जन से अधिक शहरों का अधिकतम तापमान 42 से 44 डिग्री के आसपास पहुंच गया था। फिलहाल आलम यह है कि पारा सामान्य से पांच से छह डिग्री तक नीचे आ चुका है। सुबह और शाम में पंखे की हवा भी ठंडी लग रही है। पिछले तीन दिनों में पश्चिमी विक्षोभों के प्रभावों और कालवैशाखी की सक्रियता से आंधी-पानी की स्थिति बनी हुई है। सूबे में बादलों की आवाजाही रहने और पछुआ के प्रचंड वेग के थमने से मौसम सुहाना हो गया है।
अभी कुछ दिनों तक तापमान नियंत्रित रहने के आसार
जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञ प्रो. प्रधान पार्थ सारथी के अनुसार इस मौसम में तापमान का सामान्य से काफी ऊपर जाना अस्वाभाविक है। अब पश्चिमी विक्षोभ व अन्य वातावरणीय परिस्थितियों से बादलों की आवाजाही बढ़ी है। पछुआ का वेग थमा है। सूबे में प्राकृतिक रूप से इस समय कालवैशाखी की सक्रियता बढ़ती है। अभी कुछ दिन तापमान नियंत्रित रहने के आसार हैं। कम समय में तापमान के बड़े अंतर से स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है।
बढ़ते घटते तापमान के प्रभाव से कैसे बचें?
● इस मौसम में फ्रीज का ठंडा पानी एकदम ना पीएं
● एसी के सामान्य होने के बाद ही घर से बाहर निकले
● एसी चलाएं तो छोटे बच्चों को अच्छे से चादर से ढंके
● पूरी बाजू के शर्ट पहनकर ही धूप में निकलें
● सुबह का नाश्ता जल्दी करें, खाली पेट देर तक न रहें
● घर से निकलने से पहले पानी पीकर ही निकलें
मौसम में उतार-चढ़ाव से सर्दी खांसी का बढ़ सकता है प्रकोप
मौसम में उतार-चढ़ाव का विपरित असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। बड़ी संख्या में सर्दी-खांसी, बुखार और डायरिया से पीड़ित मरीज अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल के निदेशक डॉ. मनोज कुमार सिन्हा ने बताया कि मौसम में उतार-चढ़ाव से अचानक सामान्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या अस्पताल में बढ़ी है। इस तरह का मौसम वायरल संक्रमण को बढ़ाता है। अचानक तापमान घटने-बढ़ने से शरीर उस तापमान के तुरंत अनुकूल नहीं हो पाता है। इस स्थिति में एक्सपोजर का खतरा बढ़ जाता है। तापमान में बढ़ोतरी होने या पारा के अचानक नीचे गिरने और खान-पान में लापरवाही से सर्दी, खांसी, बुखार और अनपच का प्रकोप और ज्यादा बढ़ सकता है।