नए तरह का बुखार, खांसी-जुकाम और बदन दर्द से हो रहा बुरा हाल, रहें सावधान
लखनऊ
बुखार का ट्रेंड बदल गया है। अब हाईग्रेड फीवर के साथ शरीर में दर्द और डायरिया की मार भी झेलनी पड़ रही है। एसएन मेडिकल कालेज की ओपीडी में लगभग 80 फीसदी से ज्यादा इसी दिक्कत के मरीज आ रहे हैं। जिला अस्पताल का हाल भी लगभग ऐसा ही है। लगभग एक महीने पहले तक बुखार के साथ खांसी और जुकाम की जुगलबंदी चल रही थी। बुखार उतरने में कम से कम सात दिन लगा रहा था। जबकि खांसी एक महीने तक खिंच रही थी। बीते एक सप्ताह से बुखार के साथ शरीर तोड़ दर्द झेलने पड़ रहा है। इसके साथ उल्टी और दस्त भी परेशान कर रहे हैं। एसएनएमसी के मेडिसिन विभाग में इन्हीं दिक्कतों के सबसे ज्यादा 702 मरीज आए।
इनमें करीब 550 मरीज तेज बुखार के रहे। इनमें से कुछ को भर्ती भी करना पड़ा है। दूसरे नंबर पर हड्डी रोग विभाग में 360 और तीसरे पर टीबी और वक्ष रोग विभाग में 324 मरीज देखे गए। एसएनएमसी में 3074 मरीजों को इलाज मिला। 2502 नए और 572 पुराने यानि फॉलोअप वाले मरीज थे। जिला अस्पताल में 2513 मरीज जिला अस्पताल में भी मरीजों की तादाद बढ़ रही है। यहां भी सबसे ज्यादा बुखार, खांसी, पेट दर्द, शरीर दर्द के मरीज रहे। 40 प्रतिशत पुराने मरीजों को भी देखा गया। प्रमुख अधीक्षक डा. अनीता शर्मा ने बताया कि वायरल फीवर के मरीज सबसे ज्यादा आ रहे हैं।
बुखार में लगातार हो रहा म्यूटेशन
फिजीशियन डा. शुभम जैन के मुताबिक वायरल में अक्सर कमजोरी रहती है। इस बार म्यूटेशन के कारण शरीर और जोड़ों में भीषण दर्द की शिकायत आ रही है। बुखार भी 102 से 103 तक रहता है। बुखार वाले 60 प्रतिशत लोगों के पेट भी खराब हैं। इसलिए दो दिन में बुखार न उतरे तो डाक्टर को दिखाना चाहिए।
वजन के हिसाब से पैरासिटामोल
बुखार की सर्वमान्य दवा पैरा सिटामोल असर नहीं कर रही। इसका कारण है गलत डोज देना। यह वजन के मुताबिक दी जाती है। डा. जैन के मुताबिक 50-60 किलो से अधिक के मरीज को 650 एमजी और इससे कम के मरीजों को 500 एमजी देनी चाहिए। बुखार में एक दिन में तीन से चार खुराक देना जरूरी है।