November 26, 2024

आनंद मोहन की रिहाई रोकने के लिए हस्तक्षेप करें राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री, दिवंगत आइएएस की पत्नी ने लगाई गुहार

0

हैदराबाद
बिहार में वर्ष 1994 में मारे गए दलित आइएएस अधिकारी जी. कृष्णय्या की पत्नी जी. उमा कृष्णय्या ने पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह (Anand Mohan Singh) की रिहाई रोकने के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है। आनंद मोहन को भीड़ को भड़काने का दोषी पाया गया था और एक दिन पूर्व ही बिहार सरकार ने प्रदेश के कारागार मैनुअल में संशोधन करके उसे रिहा करने का फैसला किया है।

फैसले से कायम होगी गलत मिसाल
उमा कृष्णय्या ने कहा कि वह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कदम से हैरान हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और नीतीश कुमार को अपना फैसला वापस लेने के लिए कहना चाहिए। इस फैसले से गलत मिसाल कायम होगी और इसके पूरे समाज के लिए गंभीर परिणाम होंगे। मेरे पति एक आइएएस अधिकारी थे और न्याय सुनिश्चित करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है।दिवंगत आइएएस की पत्नी ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार राजपूतों के वोट हासिल करने और दोबारा सरकार बनाने के लिए उनके पति के हत्यारे को रिहा कर रहे हैं। उन्हें (नीतीश कुमार) लगता है कि आनंद मोहन को रिहा करके उन्हें सभी राजपूतों के वोट मिल जाएंगे और उन्हें दोबारा सरकार बनाने में मदद मिलेगी, जबकि यह गलत है। उन्होंने कहा, 'यह बिहार में होता रहता है, लेकिन यह ठीक नहीं है। राजनीति में आनंद मोहन जैसे अपराधी नहीं, बल्कि अच्छे लोग होने चाहिए।'

पांच दिसंबर 1994 को कृष्णय्या की हुई हत्या
1985 बैच के आइएएस अधिकारी कृष्णय्या की पांच दिसंबर, 1994 को हत्या कर दी गई थी। उस समय वह गोपालगंज के जिलाधिकारी थे। आनंद मोहन सिंह के भड़काने पर भीड़ ने उनकी कार से खींचकर हत्या कर दी थी। उस समय भीड़ गैंगस्टर से राजनीतिज्ञ बने छोट्टन शुक्ला के शव के साथ विरोध प्रदर्शन कर रही थे।

अदालत ने आनंद मोहन सिंह को सुनाई मौत की सजा
आनंद मोहन को 2007 में निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन 2008 में पटना हाई कोर्ट ने उनकी सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। वह 15 वर्षों से जेल में हैं। दिवंगत आइएएस की पत्नी ने कहा कि आनंद मोहन को जब मृत्युदंड के बजाय उम्रकैद की सजा दी गई थी, तब वह बिल्कुल भी खुश नहीं थीं। उन्होंने कहा, 'अब यह हृदय विदारक है कि उसे अपनी सजा पूरी किए बिना ही रिहा किया जा रहा है।'

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *