‘द केरला स्टोरी’ को लेकर कोर्ट ने कहा, हर मामले में सुप्रीम कोर्ट उपाय के तौर पर नहीं आ सकता
नई दिल्ली
'द केरला स्टोरी' फिल्म के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है. फिल्म पर अपना फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता केरल हाईकोर्ट जा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट का कहना है, चूंकि फिल्म पांच मई को रिलीज होने वाली है. इसलिए हाईकोर्ट मामले में जल्द सुनवाई पर विचार कर सकता है.
खत्म होगा 'द केरला स्टोरी' पर विरोध!
'द केरला स्टोरी' को लेकर विवाद हो रहा है. फिल्म को बैन करने की मांग की जा रही है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी. मामले पर कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. 'द केरला स्टोरी' को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हर मामले में सुप्रीम कोर्ट उपाय के तौर पर नहीं आ सकते. इस मामले में हाईकोर्ट जा सकते हैं. हम यहां सुपर हाईकोर्ट नहीं बन सकते.'
फिल्म में नहीं है सच्चाई
अदा शर्मा स्टारर 'द केरल स्टोरी' के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा गया, फिल्म में उन लड़कियों की कहानी है जो नर्स बनना चाहती थीं. लेकिन ISIS की आतंकी बन गई. 'द केरल स्टोरी' के ट्रेलर में ब्रेन वॉश, लव जिहाद, हिजाब और ISIS जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है. ये फिल्म मुस्लिमों के खिलाफ है. याचिका में 'द केरल स्टोरी' पर रोक लगाने की मांग की गई थी.
फिल्म पर चली सेंसर बोर्ड की कैंची
'द केरल स्टोरी' को लेकर मचे बवाल के बीच सेंसर बोर्ड की ओर इसे A सर्टिफिकेट दे दिया गया है. इसके साथ ही फिल्म से दस कंट्रोवर्शियल सीन हटवा दिए गए हैं. 'द केरल स्टोरी' से केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन को वो बयान हटा दिया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था, 'दो दशकों में केरल मुस्लिम आबादी वाला राज्य बन जाएगा. क्योंकि युवाओं को इस्लाम के लिए प्रभावित किया जा रहा है.'
फिल्म में से वो सीन भी हटाया गया है, जिसमें एक हिंदू भगवान को गलत तरीके से दिखाया गया. फिल्म के डायलॉग 'भारतीय कम्युनिस्ट सबसे बड़े पाखंडी हैं' में से 'भारतीय' शब्द को भी हटाया गया है.
किस मुद्दे पर बनी है फिल्म
फिल्म में दावा किया गया है कि यह केरल की उन 32 हजार लापता लड़कियों की कहानी है जिनका ब्रेनवॉश करके पहले उन्हें इस्लाम कबूल करने पर मजबूर किया गया. बाद में उनको ISIS से जोड़कर आतंकवादी बना दिया गया.
खत्म हो चुका है लॉजिक
फिल्म के प्रोड्यूसर विपुल शाह से जब पूछा गया कि क्या ये एक प्रोपगेंडा फिल्म है. इस पर उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि जब लॉजिकल बहस खत्म हो जाती है, तो बहुत आसान होता है कहना कि प्रोपगेंडा फिल्म है. जितने भी लोग ये कह रहे हैं कि ये प्रोपगेंडा फिल्म है, उसमें से किसी ने भी इस फिल्म को देखा नहीं है. देखने से पहले तय हो जाता है कि ये प्रोपगेंडा फिल्म है.'
वहीं फिल्म के डायरेक्टर से सुदिप्तो सेन से पूछा गया कि फिल्म बनाते हुए किन परेशानियों का सामना करना पड़ा, तो उन्होंने कहा, 'मैं इसको परेशानियां नहीं बोलता हूं. ये हम चॉइस से गए थे.'