बेअंत सिंह के हत्यारे राजोआना को SC से राहत नहीं, 11 साल से टलती फांसी
नई दिल्ली
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजोआना सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। बब्बर खालसा आतंकी राजोआना ने सजा-ए-मौत को उम्रकैद में बदलने की याचिका दी थी। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा है कि मामले में केंद्र सरकार भविष्य में कोई विचार कर सकती है। साल 1995 में पंजाब सचिवालय के बाहर हुए धमाके में राजोआना को दोषी पाया गया था।
शीर्ष न्यायालय ने दया याचिका पर विचार करने का मामला केंद्र पर छोड़ा है। जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्रालय की तरफ से दया याचिका में हो रही देरी को सरकार की सजा बदलने की अनिच्छा के तौर पर देखा जा सकता है। साल 2020 में राजोआना की तरफ से दाखिल याचिका पर शीर्ष न्यायालय ने 2 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
साल 2007 में विशेष अदालत ने राजोआना के अलावा इस मामले में आतंकी जगतार सिंह हवारा को भी सजा-ए-मौत सुनाई थी। खास बात है कि राजोआना को 31 मार्च 2012 में फांसी होनी थी। इसके बाद केंद्र में तत्कालीन यूपीए सरकार ने 28 मार्च 2012 को फांसी पर रोक लगा दी थी। उस दौरान शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका की थी।
इसके बाद राष्ट्रपति ने दया याचिका को केंद्रीय गृहमंत्रालय के पास भेज दिया और तब से यह लंबित है। इससे पहले भी हो चुकी कई बार सुनवाई में जज केंद्र की तरफ से हो रही देरी पर सवाल उठा चुके हैं। इधर, सरकार और 1995 की घटना की जांच कर रही सीबीआई का कहना है कि राजोआना ने कभी खुद दया याचिका नहीं भेजी है। उसकी याचिका एसजीपीसी जैसी संस्थाओं के जरिए मिली हैं।
साथ ही सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि इस मामले में अंतिम अधिकार राष्ट्रपति का होता है। सरकार का कहना है कि उसकी दया याचिका पर तब तक कोई फैसला नहीं लिया जा सकेगा, जब तक हवारा की तरफ से की गई अपील शीर्ष न्यायालय में लंबित है। राजोआना की तरफ से पेश हुए वकील मुकुल रोहतगी उसके 26 सालों तक जेल में रहने और 15 सालों से मृत्युदंड के आधार पर राहत मांग रहे हैं।