25 हजार के जूते और 1.5 लाख की घड़ी पहनता था अनिल दुजाना, महंगी गाड़ियों का शौक
ग्रेटर नोएडा
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खूंखार गैंगस्टर अनिल दुजाना हाल ही में दिल्ली तिहाड़ जेल से 10 अप्रैल को आर्म्स एक्ट में जमानत पर बाहर आया था। जेल से आने के बाद ही इसने चमन भाटी हत्याकांड के गवाह को धमकाना शुरू कर दिया। इसके बाद पुलिस ने 27 अप्रैल को अनिल दुजाना समेत 11 लोगों के खिलाफ वादी की शिकायत पर दादरी कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था। बताया जाता है अनिल दुजाना लग्जरी लाइफस्टाइल जीना चाहता था। इसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार था। आसपास इंडस्ट्री एरिया होने के बावजूद उसने नौकरी में अपना भविष्य साकार नहीं समझा और जल्दी अमीर बनने के चक्कर में कुख्यात बदमाश सुंदर भाटी के लिए अवैध सरिया का कारोबार करने लगा। इस दौरान वह 10 हजार से लेकर 25 हजार तक के जूते पहनता था। डेढ़ लाख से अधिक की घड़ी पहनता था। महंगी गाड़ियों में घूमने का शौक था। उस समय तक उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं था। करोड़ों रुपये कमाने के बाद उसे नाम कमाने की भी ललक लग गई।
विवादित प्रॉपर्टी में एकतरफा फैसला सुना देता था
अनिल दुजाना गैंग 2010 के बाद इतना मजबूत हो गया कि जिले में विवादित प्रॉपर्टी के फैसले एकतरफा सुनाने लगा। नोएडा-गाजियाबाद से लेकर एनसीआर के तमाम व्यापारी और लोग अपनी विवादित प्रॉपर्टी के विवाद को सुलझाने के लिए अनिल दुजाना के पास पहुंचते थे। वह विवादित प्रॉपर्टी की कीमत के आधे रुपये लेता और दूसरी पार्टी को धमकी देकर फैसला करा देता था।
100 से अधिक प्लॉट होने की चर्चा
सूत्रों के अनुसार अनिल दुजाना के जिले में 100 से अधिक प्लॉट और 150 से बीघा से अधिक जमीन होने की चर्चा है। जीटी रोड से लेकर सिकंदराबाद, गाजियाबाद, नोएडा समेत तमाम जगह उसके प्लॉट गुर्गों के नाम पर हैं। कई प्रॉपर्टी ऐसी हैं, जो उसके नाम पर नहीं हैं और हर महीने लाखों रुपये किराया अनिल दुजाना वसूलता था। छपरा वाला और आसपास की कंपनियों से वसूली और ट्रांसपोर्ट स्क्रैप के ठेके उसके गुर्गों के नाम पर थे।
पलटवार में भाई का मर्डर
अनिल तिहरे हत्याकांड में जनवरी 2012 में पकड़ा गया। वह जेल से अपना गैंग चलाने लगा। रणदीप भाटी और अमित कसाना मदद करते थे। वह जेल से ही मर्डर और रंगदारी की साजिशों को अंजाम देने लगा। सुंदर भाटी गैंग ने जनवरी 2014 दुजाना के घर पर हमला कर दिया। ताबड़तोड़ फायरिंग में उसके भाई जयभगवान की मौत हो गई। अनिल के पिता ने सुंदर भाटी समेत आठ को नामजद कराया। दुजाना गैंग ने इसका बदला लेने के लिए सुंदर के गुर्गे राहुल का मर्डर कर दिया।
2008 में दिल्ली की तिहाड़ जेल में अनिल दुजाना गैंग के गुर्गे उमेश पंडित निवासी लोनी के संपर्क में सहारनपुर निवासी कुछ लड़के थे। इन लड़कों ने अनिल दुजाना की मुलाकात मुकीम काला, सादर तितोरा समेत कई बदमाशों से करा दी। इसके बाद मुकीम काला अनिल दुजाना गैंग के कहने पर हत्या और लूटपाट करने लगा। अनिल दुजाना बुलंदशहर जेल में रहते हुए उमेश पंडित और विक्की सुनहरा के संपर्क में आया। विकी ने मुन्ना बजरंगी से मुलाकात कराई। जिसके बाद दिल्ली में रेलवे के सरकारी ठेके लेने में मुन्ना बजरंगी ने अनिल दुजाना की मदद की। अनिल ने दिल्ली रेलवे में ठेके अपने परिचितों के नाम पर लिए थे। मुजफ्फरनगर जेल में अनिल दुजाना ने कर्नल गिरी परीक्षितगढ़, नीरज मेरठ, बागपत के ज्ञानेंद्र ढाका समेत दर्जनों बड़े बदमाशों को अपने गैंग में शामिल कर लिया था।
अनिल दुजाना गैंग में गांव के कई लोगों के नाम आए सामने
मेरठ एसटीएफ ने प्रेस नोट में बताया है कि अनिल दुजाना की कमाई और खर्चे की देखरेख का काम प्रधान चंद्रपाल निवासी बंबावड़ करता है और एक वकील उसे संभालते हैं। दुजाना गांव के मनोज सरपंच, रणपाल दुजाना, अनुज, बबलू, खिज्जू, हरेंद्र प्रधान सानू, सुनील निवासी दुजाना उसकी मदद करते हैं।
दुजाना गांव के कुख्यात सुंदर ने इंदिरा गांधी को दी थी धमकी
दुजाना गांव कभी कुख्यात सुंदर नागर उर्फ सुंदर डाकू के नाम से जाना जाता था। 70 और 80 के दशक में सुंदर का दिल्ली-एनसीआर में खौफ था। उसने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तक को जान से मारने की धमकी दे दी थी। इसी दुजाना गांव का अनिल नागर उर्फ अनिल दुजाना है।