गोरखपुर से विदेशों में नशीली दवाओं की तस्करी, 2 गिरफ्तार; खुली सीमा और इस रूट का हो रहा इस्तेमाल
गोरखपुर
यूपी एसटीएफ ने गुरुवार की रात बिहार से नेपाल ले जाए जा रहे प्रतिबंधित नशीले इंजेक्शन और दवा की खेप के साथ दो तस्करों को कैंट थाना क्षेत्र में पांडेय पेट्रोल पंप के पास से गिरफ्तार किया। वे साउंड बॉक्स में छिपाकर नशीली दवाएं ले जा रहे थे। दोनों तस्करों की पहचान नेपाल के वार्ड नम्बर 6 गुलरिहा, बर्दिया निवासी सरफराज उर्फ बाबू और समीर अहमद के रूप में हुई। पड़ोसी राष्ट्र नेपाल, बांग्लादेश और पूर्वोत्तर के राज्यों में नशीली दवाओं की खपत बढ़ती जा रही है। इन दवाओं को तस्करी के जरिए पहुंचाया जाता है। तस्करी का मुख्य मार्ग गोरखपुर से होकर जाता है।
तस्करों के लिए यह गोरखपुर बेहद मुफीद है। बिहार और नेपाल के नजदीक और दोनों की खुली सीमा होने की वजह से तस्कर इस रूट उपयोग सर्वाधिक करते हैं। यही वजह है कि जिले में बड़े पैमाने पर नशीली दवाओं की खेप पकड़ी जा रही है। पिछले वर्ष 07 अगस्त 2022 को गीडा में करीब दो करोड़ रुपए की नशीली दवाओं के साथ छह तस्करों को पकड़ा था। इसमें फेंसाडिल कफ सिरप और डायजापॉम इंजेक्शन शामिल था।
इस मामले में आगरा दवा मंडी और भालोटिया मार्केट के दो-दो थोक दवा व्यापारी भाइयों के नाम भी सामने आए थे। भलोटिया के गुप्ता बंधुओं के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा भी दर्ज किया। मामला मैनेज करने के लिए पुलिस को 15 लाख रुपए के घूस की पेशकश की गई। उस रकम को भी पुलिस ने बरामद कर लिया। इसके बाद दिसंबर में पीपीगंज के पास एसटीएफ और ड्रग विभाग ने कार्रवाई कर नशीली दवाएं बेचने जा रहे एक युवक को पकड़कर उसके पास से सैंकड़ों की संख्या में नशीले इंजेक्शन बरामद किए। अब फिर एसटीएफ को बड़ी सफलता मिली है। इस बार चार हजार से अधिक नशीली दवाओं के इंजेक्शन बरामद हुए।
तस्करों के लिए है सेफ पैसेज
नेपाल, बांग्लादेश व पूर्वोत्तर के राज्यों तक तस्करी कर नशीली दवाओं को पहुंचाने के लिए पूर्वी यूपी सबसे सेफ पैसेज माना जाता है। खुली सीमाओं के साथ सड़क व रेल जैसे यातायात के साधन तस्करों को मुफीद लगते हैं। यहां तस्कर अक्सर तस्करी के लिए नए-नए तरीके अपनाते हैं। अगस्त में पकड़ी गई नशीली दवाओं को तस्कर ब्लीचिंग पाउडर बताकर आसाम भेज रहे थे। वहां से इसे बांग्लादेश और पूर्वोत्तर के दूसरे राज्यों तक जाना था। इस बार तस्कर साउंड बॉक्स में इंजेक्शन छुपा कर ले जाते हुए दबोचे गए।
300 गुना है मुनाफा
तस्करी के इस खेल में मोटा मुनाफा है। बताया जाता है कि फेंसाडिल कफ सिरप को नेटवर्क से जुड़े ड्रग माफिया 50 रुपए प्रति बोतल के रेट से कंपनी के डिपो से खरीद लेते हैं। इस पर एमआरपी 125 रुपए की है। इसे 250 रुपए तक में नशेड़ियों को दिया जाता है। करीब 300 से 400 फीसदी का यह मुनाफा ही इस नेटवर्क को मजबूत करता है। इस नेटवर्क में ड्रग माफिया भी शामिल हैं। खास बात यह कि दवा व्यापारियों के नेता भी इस नेटवर्क का हिस्सा रहे हैं।
दवा व्यापारी जांच के राडार पर
एसटीएफ की इस कार्रवाई के बाद एक बार फिर थोक दवा मंडी भालोटिया पर सवाल खड़े हो रहे हैं। भालोटिया मार्केट के 27 बड़े दवा व्यापारी इस प्रकार की दवाओं का कारोबार करते हैं। उनके रिकार्ड की जांच हो सकती है।
ड्रग इंस्पेक्टर जय सिंह ने कहा कि यह सही है कि इस रूट से जरिए नशीली दवाओं की तस्करी होती रहती है। इसकी समय-समय पर सूचना मिलती है। पुलिस व प्रशासन की मदद से कार्यवाही की जाती है। पिछली बार हुई कार्रवाई का मामला अदालत में चल रहा है।