November 25, 2024

राजस्थान के पास हरियाणा ताजेवाला बैराज से पानी ले जाने के लिए नहीं सिस्टम

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चंडीगढ़
राजस्थान की कांग्रेस सरकार हरियाणा के ताजेवाला (हथनीकुंड) बैराज से अपने हिस्से का आवंटित यमुना जल राजस्थान ले जाने का तरीका तय नहीं कर पाई है, लेकिन पिछले कई सालों से इसके लिए हरियाणा पर दोष मढ रही है। केंद्र सरकार ने लोकसभा में साफतौर पर कहा है कि ट्रांसपोर्ट कैरियर सिस्टम के अभाव में राजस्थान को ताजेवाला बैराज से आवंटित पानी नहीं मिल पा रहा है। राजस्थान को यदि यह पानी चाहिए तो उसे किसी भी ट्रांसपोर्ट कैरियर सिस्टम को अपनाना पड़ेगा।

जयपुर के भाजपा सांसद रामचरण बोहरा ने लोकसभा में राजस्थान को उसके हिस्से का पानी नहीं मिल पाने तथा इसमें आ रही अड़चन के बारे में केंद्र सरकार से पूछा था। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने लोकसभा में जो जवाब दिया, वह राजस्थान सरकार द्वारा अपने राज्य में पानी ले जाने के प्रयासों की पोल खोल रहा है। केंद्र सरकार के इस जवाब में हरियाणा की मनोहर सरकार द्वारा राजस्थान में पानी पहुंचाने की चिंता का भी पता चल रहा है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पिछले कई सालों से कह रहे हैं कि हरियाणा अंतरराज्यीय जल समझौतों की पूर्ण रूप से अनुपालना नहीं कर रहा है।

ताजेवाला हेड से राजस्थान को आवंटित यमुना जल के संबंध में हरियाणा सरकार द्वारा सहमति नहीं दिए जाने के कारण चुरू, झुंझुनू एवं सीकर जिले की जनता सिंचाई सुविधा एवं पेयजल से वंचित है। इसी प्रकार, ओखला हेड से भी राजस्थान के भरतपुर जिले को अपने हिस्से का पूरा पानी नहीं मिल पा रहा है। ताजेवाला हेड पर आवंटित जल को राजस्थान ले जाने के लिए साल 1994 में पांच राज्यों के मध्य समझौता हुआ था। केंद्र सरकार के मुताबिक, ऊपरी यमुना नदी बोर्ड (यूवाइआरबी) द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार जुलाई से अक्टूबर के दौरान अपने हिस्से का 1,917 क्यूसेक जल उपयोग करने के लिए राजस्थान ने फरवरी 2019 में केंद्रीय जल आयोग के समक्ष भूमिगत वहन प्रणाली का प्रस्ताव दिया था।

राजस्थान सरकार ने इस परियोजना को चरणों में क्रियान्वित करने का निर्णय लिया, जिसके अंतर्गत पेयजल घटक को पहले चरण में और सिंचाई को दूसरे चरण में शुरू किया जाना था। राजस्थान सरकार ने केंद्रीय जल आयोग के पास जनवरी 2021 में संशोधित डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) प्रस्तुत की। इस पर हरियाणा सरकार से जवाब मांगा गया। हरियाणा सरकार ने राजस्थान को दो विकल्प देते हुए अपने हिस्से का पानी ले जाने का प्रस्ताव किया। पहला, पानीपत के मावी में एक बैराज का निर्माण और चुरू व झुंझनू जिलों में 1,917 क्यूसेक जल के लिए अपनी वहन प्रणाली बिछाई जाए। इसके साथ ही राजस्थान सरकार ओखला से जल का अपना शेष हिस्सा प्राप्त करना जारी रखे।

दूसरा प्रस्ताव, अपने क्षेत्रों में जल के संपूर्ण हिस्से को ले जाने के लिए ओखला से सीधे एक पाइप लाइन बिछाने का दिया गया। हरियाणा सरकार ने साथ ही यह भी कहा कि हथनीकुंड (ताजेवाला हेडवर्क्स) से भूमिगत पाइप लाइन के निर्माण के प्रस्ताव की तुलना में पानीपत के मावी बैराज का निर्माण और मावी से राजस्थान सीमा तक खुले चैनल से पानी ले जाना अधिक किफायती रहेगा। हरियाणा सरकार ने यह भी कहा कि मावी में बैराज के निर्माण को प्रस्तावित यमुना राजस्थान लिंक के साथ एकीकृत किया जा सकता है। राजस्थान सरकार यमुना नदी पर बैराज निर्माण या ओखला से अपने चुरू और झुंझुनूं जिलों के लिए 1,917 क्यूसेक पानी ले जाने वाले इस प्रस्ताव पर सहमत नहीं हुई।

इस मामले पर आम सहमति बनाने के लिए ऊपरी यमुना नदी बोर्ड के अध्यक्ष ने मार्च 2022 में हरियाणा और राजस्थान के साथ एक बैठक की तथा ताजेवाला और ओखला हेड पर पानी की उपलब्धता एवं विभिन्न बिंदुओं (हथनीकुंड, मावी और ओखला) से राजस्थान के हिस्से के पानी को ले जाने की व्यवहार्यता की जांच का प्रस्ताव दिया।

हरियाणा की नीयत साफ, राजस्थान सरकार पहले सिस्टम तो बनाए
ऊपरी यमुना नदी बोर्ड के अध्यक्ष ने सदस्य सचिव की अध्यक्षता में एक तकनीकी समिति का गठन कर दिया, जिसमें हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश राज्यों और केंद्रीय जल आयोग के सदस्य को शामिल किया गया। इस तकनीकी समिति की पहली बैठक मई 2022 में हो चुकी है, लेकिन दूसरी बैठक होनी अभी प्रस्तावित है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा है कि हमारी नीयत साफ है, लेकिन राजस्थान सरकार को पहले यह तय करना होगा कि उसे किस सिस्टम के जरिये अपने हिस्से का पानी राजस्थान ले जाना है। हम इसमें हर तरह का सहयोग करने के लिए तैयार हैं।

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