September 30, 2024

गुजरात और राजस्थान की बसों पर झाबुआ बस स्टैंड पर लगी रोक

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 झाबुआ

 झाबुआ में अफसरों व बस संचालकों के गठबंधन ने लोक परिवहन व्यवस्था को ध्वस्त करके रख दिया है। पहले मध्यप्रदेश राज्य परिवहन निगम पर ताले लगे। इसके बाद जिले में लगातार पड़ोसी राज्यों की बसों को टारगेट किया जाने लगा। कभी उनके चालक-परिचालक के साथ मारपीट तो कभी गाली-गलौज करने की घटना नियमित होने लगी। वर्तमान में स्थिति यह है कि गुजरात राज्य परिवहन निगम की यात्री बसों को झाबुआ बस स्टैंड पर आने ही नहीं दिया जाता है।

इस तरह की धमकी दी जाती है कि वे सहम जाते हैं। कुछ रहवासी इस मामले में लगातार आवाज भी उठाते रहे हैं, मगर जिला प्रशासन ने कभी उनकी पीड़ा को गंभीरता से लिया ही नहीं। राजस्थान की इंदौर-डूंगरपुर बंद हो चुकी है, जो आम जनता की दृष्टि से बहुपयोगी थी। गुजरात की बसें शहर के बाहर से ही खाली निकल जाती हैं। उसके चालक-परिचालक सवारी बैठाने में डरते हैं। गुजरात के दाहोद, वड़ोदरा, अहमदाबाद आदि स्थानों पर बड़ी आबादी को आने-जाने में दिक्कत होती है। अधिकांश तो स्वास्थ्य सेवा के कारण वहां की यात्रा करने को मजबूर होते हैं।

अफसर मौन रहकर सबकुछ देख रहे

इस संपूर्ण मैदानी हकीकत की वजह सिर्फ एक ही है, वह है निजी बस संचालकों का वर्चस्व। जिले की लोक परिवहन व्यवस्था पर निजी क्षेत्र अपना आधिपत्य जमा रहा है। अफसर मौन रहकर सब कुछ चलने देते हैं, इसीलिए दिखावे के लिए हमेशा कहा जाता है कि अंतरराज्यीय सरकारी बसों को सुरक्षा देंगे, मगर जब मामले हिसंक विवाद तक पहुंचता है तो जानबूझकर ढिलाई बरती जाती है। माहौल कुछ इस तरह का निर्मित हो जाता है, जिससे पीड़ित ही भयभीत होता है।

 

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