November 27, 2024

निर्यात में गिरावट से रोजगार पर संकट की आशंका, ​​​​​​​इन क्षेत्रों पर सीधी मार पड़ेगी

0

नई दिल्ली
अप्रैल में भारत के निर्यात में तीन साल की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज हुई है। देश का माल निर्यात लगभग 12.7% गिरा है। इस गिरावट के कई बड़े निहितार्थ हैं। इससे सीधा असर देश के आर्थिक विकास और रोजगार सृजन क्षमता पर होगा। प्रमुख अर्थशास्त्री योगेंद्र कपूर ने हिन्दुस्तान को बताया कि देश के निर्यात में आती हुई सुस्ती काफी बड़ी चिंता का विषय है।

एक तरफ तो इस गिरावट का सीधा असर देश की जीडीपी पर होगा वहीं परोक्ष रूप से यह आम आदमी के जीवन पर भी असर डालेगी। जीडीपी में कमी आने से सीधे तौर पर आम आदमी प्रभावित होता है क्योंकि सरकार सार्वजनिक शिक्षा, चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाओं, आधारभूत संरचना के विकास पर खर्च को कम करना शुरू कर देती है। इसके चलते निजी निवेश में भी कमी आती है। इस वजह से कंपनियों की आय में गिरावट आती है जिससे रोजगार के अवसर कम हो जाते हैं। इसके फलस्वरूप निजी खपत में कमी करने के लिए लोग मजबूर हो जाते हैं। यह चक्र अर्थव्यवस्था में सुस्ती पैदा करता है और मांग की कमी का प्रभाव अन्य क्षेत्रों में भी पैर पसारने लगता है।

निर्यात घटने से जीडीपी पर क्या असर

घटता माल निर्यात विनिर्माण क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है। इस वक्त भारत के विकास की गति को धीमा करने का जोखिम पैदा हो सकता है जब निजी निवेश बड़े पैमाने पर देश में आने को तैयार है। यह गिरावट सरकार पर जीडीपी को बढ़ाने के लिए घरेलू मांग में वृद्धि के और तरीके तलाशने का दबाव डाल सकती है।

बाहरी कारणों का प्रभाव भी पड़ेगा

दुनिया के विकसित बाजारों में मांग और खपत घट रही है। यह वित्त वर्ष 24 में भारत की अनुमानित 6.5% जीडीपी विकास दर के लिए एक नकारात्मक जोखिम के समान है। इसके अलावा अमेरिका और यूरोपीय संघ में तनाव, बैंकिंग क्षेत्र में अस्थिरता, कृषि उत्पादन पर अल नीनो का प्रभाव जैसे अन्य जोखिम भी हैं।

इन क्षेत्रों पर सीधी मार पड़ेगी

पिछले सात में से पांच महीनों में निर्यात में गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट श्रम-बहुल क्षेत्रों जैसे कपड़ा, चमड़ा, रत्न-आभूषण और इंजीनियरिंग सामान उद्योगों की चिंता बढ़ाने वाली है। इन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा रोजगार हैं और नए रोजगार के अवसर मुहैया कराने में भी इनका योगदान अन्य क्षेत्रों से ज्यादा है।

सेवा क्षेत्र के निर्यात में बढ़त जारी

इस अवधि के दौरान देश के सेवा क्षेत्र के निर्यात में निरंतर वृद्धि दर्ज होती रही है। हालांकि कई मोर्चों पर विदेशी मांग में सुस्ती के चलते इस क्षेत्र को भी थोड़ी चुनौतियां झेलनी पड़ीं लेकिन फिर भी इस क्षेत्र में औरों के मुकाबले अपनी पकड़ और बढ़त बनाए रखी। मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के अुनसार, भारत के सेवा क्षेत्र ने 2022 के अंतिम महीनों में अमेरिका, यूरोप और चीन से काफी बेहतर प्रदर्शन किया है।

कच्चे तेल ने बिगाड़ा खेल

यूक्रेन युद्ध के चलते रूस पर लगे प्रतिबंध की वजह से भारत को सस्ता रूसी कच्चा तेल मिलने लगा। भारतीय रिफाइनरियों ने जमकर सस्ता कच्चा तेल जाम किया लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की मांग में कमी से भारतीय पेट्रोलियम उत्पादों की मांग में भी कमी आई। अप्रैल में देश के गैर-तेल निर्यात में भी तगड़ी गिरावट आई।

भारत के सामने निर्यात बढ़ाने के उपाय

निर्यातकों की मांग रही है कि उनके सामान और सेवाओं की विदेशी बाजारों में मार्केटिंग के लिए सरकार सहयोग करे। विशेषज्ञों का मत है कि माल भाड़े पर जीएसटी की छूट और बाजारों में विविधता लकर निर्यात को बढ़ाया जा सकता है। पिछले 25 वर्षों में भारत का 40 फीसदी निर्यात मात्र सात देशों में होता आ रहा है। साथ ही छोटे निर्यातकों को सस्ता कर्ज उपलब्ध कराकर निर्यात बढ़ाने में मदद की जी सकती है। आने वाली जुलाई से निर्यात का सीजन तेजी पकड़ेगा। कई देशों में त्योहारी मांग निकलने से इस वित्त वर्ष में पासा पलटा जा सकता है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *