October 3, 2024

निर्यात से पहले अब दवाओं की जांच कराएगी सरकार, कफ सीरप को लेकर हुई थी किरकिरी

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नई दिल्ली
भारतीय फार्मास्यूटिकल फर्मों द्वारा निर्यात किए जाने वाले खांसी के सीरप के लिए विश्व स्तर पर उठाए जा रहे गुणवत्ता के मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार गंभीर है। वह अब विदेश में दवा भेजे जाने से पहले सरकारी प्रयोगशालाओं में उसके परीक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।

अहम माना जा रहा सरकार का कदम
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि ड्रग रेगुलेटरी अथार्टी, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने निर्यात से पहले सरकारी प्रयोगशालाओं में तैयार दवा उत्पादों का परीक्षण करने का प्रस्ताव दिया है। दुनिया में दवा हब के रूप में उभर रहे भारत की कफ सीरप को लेकर किरकिरी के मद्देनजर सरकार का यह कदम काफी अहम माना जा रहा है।

कफ सीरप से हुई मौतों को सरकार ने गंभीरता से लिया
    बता दें कि गांबिया और उज्बेकिस्तान में भारतीय फर्मों द्वारा निर्मित कफ सीरप से कुछ लोगों की मौत का दावा किया गया था।
    बीते वर्ष डब्ल्यूएचओ ने भी भारत में निर्मित सीरप में दो विषाक्त पदार्थ डायथिलीन ग्लाइकाल और एथिलीन ग्लाइकाल मिलने की पुष्टि की थी। इसे केंद्र ने गंभीरता से लिया।
    प्रस्ताव के अनुसार, निर्यातकों को अधिकृत प्रयोगशालाओं द्वारा जारी किए गए बैचों के परीक्षण का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा।
    इसके बाद ही विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) निर्यात के लिए खेप जारी करने की मंजूरी देगा।
    निर्यात खेप से नमूने के परीक्षण इंडियन फार्माकोपिया कमीशन, सीडीएससीओ की चंडीगढ़, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद, मुंबई और गुवाहाटी स्थित प्रयोगाशालाओं और राज्य सरकारों की एनएबीएल से मान्यता प्राप्त दवा परीक्षण प्रयोगशाला में करने का प्रस्ताव है।
    एक अधिकारी के अनुसार, भारतीय कंपनियों द्वारा निर्यात किए जाने वाले खांसी के सीरप को लेकर विश्व स्तर पर गुणवत्ता के मुद्दों पर सवाल उठे हैं।
    मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय फर्मों द्वारा निर्मित और निर्यात किए गए कफ सीरप विदेश में गुणवत्ता नियंत्रण परीक्षण में विफल रहे हैं।
    इसके अलावा, डब्ल्यूएचओ से भी विदेश मंत्रालय, वाणिज्य विभाग और अन्य संस्थाओं तथा विभागों को ऐसी रिपोर्ट और परिणामों के बारे में पत्र प्राप्त हुए हैं।

कुछ संयंत्रों को किया गया बंद
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि भारत सरकार ने आवश्यक कदम उठाते हुए ऐसी इकाइयों की पहचान भी की है और राज्यों के साथ मिलकर शिकंजा भी कसा है। कुछ संयंत्रों को बंद कर दिया गया है और कुछ के लाइसेंस रद किए गए हैं।

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