एमबी पावर सीएसआर ने प्रमाणपत्र और सिलाई मशीनें देकर महिलाओं का किया सशक्तिकरण
जैतहरी
महिला सशक्तिकरण की दिशा में अपने प्रयासों का विस्तार करते हुए एमबी पावर सीएसआर ने क्षेत्र की 15 लड़कियों व महिलाओं को प्रतिष्ठित वस्त्र डिजाइन प्रशिक्षण संस्था उषा इंटरनेशनल लिमिटेड से न सिर्फ प्रशिक्षण दिलाया है,बल्कि इनमें से 10 को अपनी ओर से नि:शुल्क सिलाई मशीनें भी प्रदान कीं। कंपनी के सीओओ व प्लांट हेह बसंता कुमार मिश्रा ने इन्हें उषा की ओर से जारी प्रमाणपत्र और सिलाई मशीनें देकर सम्मानित किया।
कंपनी के मानव संसाधन एवं प्रशासन विभाग के महाप्रबंधक आरके खटाना व अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में प्लांट हेड श्री मिश्रा ने अमगवां, गुवारी, महुदा, क्योंटार और जैतहरी की 10 प्रशिक्षित महिलाओं व लड़कियों को उषा सिलाई स्कूल टीचर सर्टिफिकेट और पांच अन्य लाभार्थियों को उषा सिलाई स्कूल लर्नर सर्टिफिकेट प्रदान किए। दोनों श्रेणियों की कुल 15 लाभार्थियों में से 10 ऐसी लाभार्थियों को सीएसआर की ओर से नि:शुल्क मशीनें प्रदान की गयीं, जिनके पास पहले से मशीनें नहीं थीं। उषा इंटरनेशनल लिमिटेड ने उषा सिलाई स्कूल पहल के तहत इन्हें प्रशिक्षित किया।
उषा इंटरनेशनल की प्रशिक्षक ज्योति महारा ने नौ दिनों के अपने गहन प्रशिक्षण के दौरान इन्हें सिलाई मशीन के संस्थापन से लेकर देखभाल, ड्राफ्टिंग, सिलाई, कटाई, स्टिचिंग, कशीदाकारी आदि के गुर सिखाए। उन्हें पेशेवर प्रशिक्षण के तहत सिलाई कारोबार के आर्थिक पहलुओं से भी अवगत कराया गया। इस मौके पर कंपनी के प्लांट हेड ने कहा कि ऐसी पहल महिलाओं को न सिर्फ आत्मनिर्भर बनाती है, बल्कि ये महिलाएं दूसरी महिलाओं को भी प्रशिक्षित कर सशक्तिकरण का दायरा बढाएंगी। क्योंटार की पद्मा राठौर कहती हैं, " उषा जैसे स्कूल से सर्टिफिकेट पाना सपने से कम नहीं है। मुझे खुशी है कि अपने परिवार की परवरिश में मैं भरपूर योगदान दे पाऊंगी।
श्री खटाना ने कहा कि यह प्रेरक पहल उषा इंटरनेशनल, कंपनी प्रबंधन और सीएसआर विभाग के साझा सपनों का सुखद प्रयास है। सीएसआर के अधिकारी सत्यम सलील ने बताया कि 2015 से लेकर अब तक करीब 1800 महिलाएं और लड़कियां सीएसआर के विभिन्न व्यावसायिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों से लाभान्वित हो चुकी हैं। सीएसआर की कार्यकम प्रभारी रश्मि लखेरा के मार्गदर्शन में इन्हें विशेषज्ञों से सिलाई, डिजाइनिंग, ब्यूटी पार्लर, कुशन ट्रेनिंग, मोबाइल रिपेयर आदि के प्रशिक्षण दिलाए जाते रहे हैं। प्रशिक्षित महिलाओं में कई आज क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की मिसाल बन चुकी हैं।