September 25, 2024

कॉमनवेल्थ गेम्स 2022: 24 साल में पहली बार केन्या के अलावा किसी दूसरे देश ने स्टीपलचेज में जीता पदक

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बर्मिंघम
अविनाश स्कूल जाने के लिए रोज छह किलोमीटर दौड़ते थे। यहीं से उन्हें दौड़ने की आदत लग गई और भारतीय सेना में शामिल होने के बाद वो और बेहतर होते चले गए। अब उन्होंने देश के लिए कमाल किया है।
 
कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में रजत पदक जीतकर अविनाश साबले ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने 3000 मीटर स्टीपलचेज में 8:11.20 सेकंड में अपनी रेस पूरी की। इसके साथ ही उन्होंने अपना राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी बेहतर किया। उनका पिछला प्रदर्शन 8:12.48 सेकेंड का था। 1998 से लगातार केन्या के एथलीट स्टीपलचेज में पदक जीतते आ रहे थे। पिछले छह कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण, रजत और कांस्य तीनों पदक केन्या के खिलाड़ियों ने ही जीते थे, लेकिन 2022 में अविनाश ने यह सिलसिला तोड़कर केन्या के किले में सेंध लगा दी। इस साल उन्होंने रजत पदक जीता और स्वर्ण पदक जीतने से सिर्फ 0.05 सेकेंड से चूक गए।

अविनाश इस साल शानदार फॉर्म में रहे हैं और लगातार राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा है। इसके बाद कॉमनवेल्थ गेम्स में उनसे पदक की उम्मीद लगाई जा रही थी और अविनाश ने अपना प्रदर्शन और बेहतर करते हुए रजत पदक जीता। हालांकि, अविनाश के लिए यहां तक का सफर आसान नहीं रहा है। 18 साल की उम्र में वो सेना में भर्ती हो गए थे और चीजें उनके लिए काफी आसान हो गई थीं, लेकिन इससे पहले उनका जीवन चुनौतियों से भरा रहा है।

रोज छह किलोमीटर दौड़ कर जाते थे स्कूल
अविनाश का जन्म साल 1994 में एक किसान परिवार में हुए था। उनके गांव में स्कूल बस नहीं चलती थी। ऐसे में अविनाश को रोज छह किलोमीटर दौड़ कर स्कूल जाना पड़ता था। उस समय उन्हें नहीं पता था कि उनकी यह आदत उन्हें कॉमनवेल्थ में पदक दिलाएगी, लेकिन अपनी पढ़ाई के लिए वो रोज छह किलोमीटर दोड़ते थे। 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद अविनाश का चयन भारतीय सेना में हो गया। यहां से उनके लिए चीजें आसान हो गईं, लेकिन अब नई चुनौतियां उनके सामने थीं।

सिर्फ 18 साल की उम्र में अविनाश सेना का हिस्सा बने और उन्हें सियाचिन ग्लेशियर में तैनात कर दिया गया। 2013-14 तक सियाचिन में रहने के बाद रास्थान के रेगिस्तानी इलाकों में उन्हें भेज दिया गया। इसके बाद वो सिक्किम में तैनात रहे। 2017 में सेना के कोच ने उन्हें स्टीपलचेज में दोड़ने की सलाह दी और एक साल बाद ही उन्होंने राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ दिया। इसके बाद वो नौ बार ऐसा कर चुके हैं। अब कॉमनवेल्थ में अपना पहला पदक जीतकर उन्होंने इतिहास रचा है। पेरिस ओलंपिक में भी उनसे पदक की आस बढ़ गई है।

 

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