November 26, 2024

South Korea में बनेगा भव्य राम मंदिर, अयोध्या को मानते हैं अपना ननिहाल !

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अयोध्या

भारत पूरी दुनिया के साथ 'वसुधैव कुटुंबकम्' के संदेश के साथ जुड़ा हुआ है. जिस तरह भारत दुनिया के अन्य देशों की संस्कृति का सम्मान करता है उसी प्रकार दुनिया के अन्य देश भी हमारी संस्कृति का सम्मान करते हैं. ऐसा ही एक देश कोरिया भी है. अब खबर आ रही है कि दक्षिणी कोरिया के Gimhae शहर में अयोध्या की तर्ज पर भव्य राम मंदिर बनाया जाएगा.

रानी Heo Hwang Ok और भारत का रिश्ता
KIBCF (कोरिया इंडिया बिजनेस एंड कल्चरल फॉरम) की डायरेक्टर Miss Zena Chung इस विषय में अयोध्या के राम मंदिर से जुड़े अधिकारियों और संस्थाओं से बातचीत कर रही हैं. Miss Zena Chung ने साल 2020 में कोरिया में एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई थी जिसे भारत और कोरिया, दोनों ही देशों में बहुत पसंद किया गया था. यह डॉक्यूमेंट्री अयोध्या की राजकुमारी सूरी रत्न की यात्रा पर आधारित थी. माना जाता है कि राजकुमारी सूरी रत्न, भगवान राम की बहन थीं और उन्होंने समुद्री यात्रा करके कोरियाई राजा Kim Suro से विवाह किया था जिसके बाद उन्हें रानी Heo Hwang Ok के नाम से पहचान मिली. ज्यादातर कोरियाई लोग रानी Heo Hwang Ok को ही अपना पूर्वज मानते हैं और Gimhae शहर में इनकी काफी मशहूर समाधि भी है.

कोरिया से उत्तर प्रदेश का नाता है पुराना
साल 2018 में कोरिया की फर्स्ट लेडी Sook Jung Kim अयोध्या में रानी Heo मेमोरियल पार्क के पुनर्निर्माण के शिलान्यास कार्यक्रम में हिस्सा लेने आईं थीं. रानी Heo मेमोरियल पार्क का पुननिर्माण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा करवाया गया था. इतना ही नहीं, मार्च 2016 में 38 सदस्यों का एक कोरियाई डेलीगेशन भारत आया था और इस मेमोरियल को और विकसित करने की मांग की थी जिसे मुख्यमंत्री द्वारा मंजूरी मिल गई थी. इसके बाद 23 अक्टूबर 2022 को इस मेमोरियल पार्क का पुनर्निर्माण पूरा हो गया और इसे आम जनता के लिए खोल दिया गया था. इस मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी मौजूद थे. साल 2001 में Gimhae शहर के मेयर और अयोध्या के मेयर ने आपसी सहयोग और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए एक 'अंतरराष्ट्रीय सिस्टर सिटी' बॉन्ड पर साइन किए थे.

राम मंदिर बनने की हो चुकी है शुरुआत
Miss Zena Chung ने कोरिया के ग्लोबल डिप्लोमैट फॉरम के डायरेक्टर के तौर पर कोरिया की सरकार से राम मंदिर के निर्माण को लेकर बात शुरू कर दी है. इस विषय में जारी की गई प्रेस रिलीज की मानें तो Miss Zena Chung ने इस विषय में विशेष तौर पर कोरिया के राष्ट्रपति को पत्र लिखा है. इतना ही नहीं, Miss Zena Chung ने कोरिया के विदेश मंत्री और Gimhae शहर के मेयर को भी कोरिया के Gimhae शहर में अयोध्या जैसा ही राम मंदिर बनाने के लिए पत्र लिखा है.

दरअसल कोरिया के लोगों को अपनी रानी हॉ हांक-ओके के अयोध्या से आने का पता तेरहवीं सदी में लिखे गए कोरियन ग्रंथ सम्यूक यूसा से पता चला. इसमें कहा गया है कि अयोता नाम की जगह से आयी राजकुमारी का विवाह काया राज्य के राजा सूरो से हुआ था. इस ग्रंथ के मुताबिक अयोता यानी अयोध्या की राजकुमारी का विवाह किम सूरो से 48 ईसी में हुआ था.

अब यह कहानी सिर्फ कोरिया की किंवदंतियों में नहीं है, बल्कि भारत की ज़मीन पर भी दिखने लगी है. अयोध्या में कोरिया की सरकार ने रानी हॉ हॉंक-ओके का स्मारक बनाया है और इसे विस्तार देने की योजना पर भी काम चल रहा है. चलिए एक बार रानी की कहानी पर सिलसिलेवार तरीके से नज़र डाल लेते हैं-

अयोध्या की राजकुमारी सूरी रत्ना एक जहाज पर सवार होकर कोरिया द्वीप के काया राज्य के लिए रवाना हुईं. दरअसल उनके माता पिता को स्वप्न में ईश्वर ने आदेश दिया था कि सुदूर काया राज्य के राजा किम सूरो ही उनकी बेटी के वर यानी पति होंगे. इस सपने के बाद उन्होंने अपनी बेटी को कुछ अंगरक्षकों और सेवक-सेविकाओं के साथ काया राज्य की तरफ रवाना कर दिया.

इधर कोरिया के काया राज्य में किम सूरो के राजा बनने की भी दिलचस्प कहानी है. कहा जाता है कि किम सूरो देवलोक से आए छह सोने के अंडों से जन्मे थे और उन्होंने राजुकुमारी के आने के इंतजार में शादी नहीं की थी. जब मंत्रियों ने उनसे विवाह का आग्रह किया तो उन्होंने कहा कि उनका रिश्ता स्वर्ग से ही जुड़ गया था और वो अपनी राजकुमारी का इंतज़ार कर रहे हैं.

कोरिया की रानी भारत की बेटी थी

जब राजकुमारी का जहाज कोरिया के काया राज्य की सीमा में पहुंचा, तो वहां राजा किम सूरो के सैनिक राजकुमारी को राजा के पास ले गए. राजा ने उन्हें अपने राजमहल में जगह दी और फिर दोनों का विवाह हुआ. यहां राजकुमारी को रानी हॉ हॉन्क ओके नाम दिया.

दोनों की 12 संतान हुईं. इनमें से 8 पुत्रों ने बौद्ध धर्म अपना लिया और बौद्ध भिक्षु बन गए सबसे बड़े बेटे को किम सूरो के बाद राज्य की जिम्मेदारी मिली. दो बेटों के लिए को हॉ उपनाम से जाना गया. गिमहे किम समुदाय के लोग आज भी अपने आप को एक परिवार का हिस्सा मानते हैं और रानी हॉ के वंशज मानते हैं. इसलिए कोरिया में परंपरा है कि गिमहे किम समुदाय के लोग आपस में शादी भी नहीं करते, क्योंकि वो अपने आपको एक ही मां यानी रानी हॉ की संतान मानते हैं.

एक दिलचस्प तथ्य है कि रानी हॉ अपने साथ भारत से चाय लेकर कोरिया पहुंची थीं. कोरिया के लोगों को चाय से परिचित कराने का श्रेय रानी हॉ को दिया जाता है, इसलिए उन्हें टी पर्सन आफ कोरिया भी कहा जाता है.

कोरिया के गिमहे शहर में रानी हॉ की याद में स्मारक बनाया गया है और लोगों की उनके प्रति बड़ी श्रद्धा है. ये कोरिया का एक बड़ा पर्यटन स्थल भी है.

कोरिया में गिमहे किम वंश के करीब 60 लाख लोग हैं, जो रानी हॉ को अपनी मां और अयोध्या को अपना ननिहाल मानते हैं.

कोरिया की तरह ही अयोध्या में भी रानी हॉ की याद में एक स्मारक स्थल बनाया गया है. यहां कोरिया से हर साल हज़ारों लोग पहुंचते हैं.

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