भारत ब्राम्हणों का देश है इसलिए यहां किसी की दाल गल नहीं रही : निश्चलानंद सरस्वती
रायपुर
देश भर के नेता आज राजनीति को धर्म से जोड़कर वोट की राजनीति करने में लगे हुए है इसी कारण आज देश खोखला होते जा रहा है और हमारी गौ माता यानी गायें कट रही है इसलिए गौवंश खतरे में है। केंद्रीय नेतृत्व के लिए 37 लोगों को मंत्रिमंडल में होना चाहिए लेकिन अभी तक ऐसा हुआ है क्योंकि उनके मस्तिष्क में ऐसी क्षमता नहीं है कि वह कोई कठिन निर्णय ले सकें। विदेशों में बैठे कई लोग भारत को नष्ट करने के लिए कई उपाए किए लेकिन उनका हर उपाय गलत साबित हुआ क्योंकि भारत ब्राम्हणों का देश है और यहां भगवान कई रुपों में जन्म ले चुके है इसलिए उनकी दाल यहां नहीं गल रही है। उक्त बातें स्वामी निश्चनानंद सरस्वती महाराज ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहीं। 16 जून को स्वामी जी का 81वां प्राकट्य दिवस के अवसर पर राजधानी रायपुर के रांवाभाठा में एक धर्मसभा का आयोजन किया गया है उसी तैयारियों का जायजा लेने के लिए वे यहां आए हुए थे।
उन्होंने कहा कि राजनीति करने के लिए आज के राजनेता धर्म को अपना सबसे बड़ा हथियार बना लिया है और चुनाव से ठीक पहले वे एक-दूसरे के धर्म को जोड़कर वोट मांगते है और जीतने के बाद सबकुछ भूल जाते है। मैं किसी पार्टी पर आरोप या प्रत्यारोप नहीं लगा रहा हूं वर्तमान में जो हो रहा है वही बोल रहा हूं। राजनीति एक नया अभिशाप बन गया है जिसे मैं तुष्टिकरण कहता हूं क्योंकि राजनीति को धर्म से जोड़कर वे इसका दुरुपयोग कर रहे हैं। इसके लिए मुख्यमंत्री से लेकर राज्यपाल तक सभी दोषी हैं, इन सभी को बैठकर इसके बारे में विचार-विमर्श करना चाहिए। मंदिर और मठ को भी वे लोग नहीं छोड़े हैं इसे भी राजनीति का अड्डा बना लिया हैं। उन्होंने कहा कि पार्षद, विधायक, सांसद सभी लोग अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर आमजनता के बीच चुनाव से ठीक तीन महीने पहले यह चर्चा कर लें और एक समिति का गठन कर चुनाव के बाद काम हो रहा है या नहीं देखें।
एक सवाल के जवाब में स्वामी ने कहा कि प्रभु ईसा मसीह भी हिन्दू है मैं इस बात पर अडिग हूं क्योंकि हमारे मस्तिष्क के बीच में एक लकीर गई हुई है और उसे हम ब्राम्हणों की लकीर कहते हैं उस लकीर के बिना कोई भी आदमी जिंदा नहीं रह सकता है। प्रभु ईसा मसीह को जब कोड़े से बांधकर छोड़ा गया तो वे जन्मू-काश्मीर में आकर शरण लिए हुए थे और आज भी उनकी समाधि यहां पर स्थापित हैं क्योंकि हिन्दुओं की रक्षा सिर्फ भारत देश में ही हो सकती है और कहीं नहीं। क्योंकि भारत में ब्राम्हण के रुप में भगवान ने कई बार अवतार लिया है और प्रभु ईसा मसीह ने भी भारत में ही समाधि ली इसलिए प्रभु ईसा मसीह भी हिन्दु हुए।
उन्होंने कहा कि देश का मंत्रिमंडल 37 लोगों का होना चाहिए जिनमें 4 अतिविशिष्ट, 8 विशिष्ट, 3 कार्य संपादन, 1 संस्कृति और 21 लोग इन कार्यों को करवाने के लिए। लेकिन अभी तक ऐसी नहीं हुआ है जिस दिन ऐसा हो जाएगा उस दिन से भारत में राजनीति खत्म हो जाएगी। लेकिन आज के राजनेता संतुलित राजनीति नहीं कर रहे है क्योंकि उनके मस्तिष्क में यह क्षमता नहीं है कि वह सही और गलत का निर्णय ले सकें। इसलिए आज देश खोखला होते जा रहा है, यहां गौ माता की रक्षा करने के बजाए उनकी हत्याएं हो रही है, उन्हें कांटा जा रहा है इसलिए आज पूरे देश में गौवंश खतरे में है। गौवंश पृथ्वी का एक अनभिज्ञ अंग है इसलिए ब्राम्हण कहते है कि गौ दान करों और उनके बिना किसी की भी बत्ती नहीं चलती।
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि भारत में भले ही राजनेता एक-दूसरे से लड़ते है लेकिन जब संकट आता है तो सब एक साथ हो जाते है। इसलिए कई विदेशी देशों ने भारत को तोड?े का प्रयास किया लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो पा रहे है। इसका मुख्य कारण यह है कि भारत ब्राम्हणों का देश है और जहां ब्राम्हण होते है वहां किसी की भी दाल नहीं गलती।
प्रकाट्य महोत्सव आयोजन समिति के संयोजक बसंत अग्रवाल ने बताया कि 16 जून को उनके 81वें प्रकट्य दिवस के अवसर पर दीघायु व स्वस्थ जीवन की कामना को लेकर रूद्राभिषेक एवं 11000 लोगों की एक कलश यात्रा निकाली जाएगी जो राजधानी के रांवाभाठा शंकराचार्य आश्रम में समाप्त होगी जहां 21000 लोगों के बीच धर्मसभा का आयोजन किया गया है।