राजसत्ता को प्राप्त करने के लिए भगवान राम को साधन बना लेते हैं कुछ लोग : शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
रायपुर
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद स्वामी जी ने राजधानी रायपुर में मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि जनता चाहेगी तो शराबबंदी के लिए सरकार की मदद कर सकती है। जितने भी अपराध हो रहे उसमें बहुत बड़ा हाथ शराब का है। अगर अपराध को बंद करना है तो शराबबंदी की जाए।कुछ लोग अपनी राजसत्ता को प्राप्त करने के लिए भगवान राम को साधन बना लेते हैं। राजनीति के कारण आदिवासियों को कहा जा रहा है कि, तुम हिंदू नहीं हो। हम भी जंगली थे आदिवासी वनवासी थे। धीरे-धीरे जंगल कम हो गए, वनवासी अब जंगलों में रह गए तो क्या वह वनवासी नहीं रह जाएंगे।हम भी उसी परंपरा के हैं। आदिवासी और हम में कोई अंतर नहीं। शहर में रह जाने से किसी की परंपरा समाप्त नहीं हो जाती। राजनैतिक लोग हमें बांटने का प्रयास कर रहे। आदिवासी भाइयों को उनके झांसे में नहीं आना चाहिए।
भगवान के नाम पर हो रही राजनीति पर शंकराचार्य ने कहा, जिस राजा के द्वारा भूखी जनता के दुख को दूर करने का प्रयास किया जाता है, वही असली राजा है। साधन का मतलब है, भगवान राम का मंदिर बना दो चढ़ोत्तरी आएगी वो साधन होगा।
कुछ लोग अपनी राजसत्ता को प्राप्त करने के लिए भगवान राम को साधन बना लेते हैं। महिला पहलवानों के प्रदर्शन के लेकर शंकराचायऱ् ने कहा, शिकायत है तो जांच कराने में क्या समस्या है। जिनके खिलाफ हमारी बहनों ने प्रदर्शन किया, वही आरोपी संसद भवन में खड़ा होकर सबको तमाशा दिखाता है। हमको दोनों दृश्य साथ में दिखाई देते हैं, ये हम स्वीकार नहीं करते। ये कैसा लोकतंत्र है।
संसद में स्थापित राजदंड को लेकर शंकराचार्य ने कहा, जो पुरानी संसद थी लोकसभा अध्यक्ष की सीट के पीछे जहां धर्म है, वहीं विजय है लिखा हुआ था। प्रतीकों के पीछे की अर्थों की उपेक्षा की जाती है। केवल प्रतीक सामने रखकर ऊपर-ऊपर सब काम कर रहे हैं। केवल दिखावा से नहीं होता। प्रतीक के अर्थ को निभाया गया तो मोदी जी के द्वारा ये राजधर्म होगा। नहीं निभाया गया तो कोई मतलब नहीं होगा। हिंदू राष्ट्र कहने वाले लोगों को जनता के सामने एक प्रारूप रखना चाहिए। ऐसा प्रारूप किसी ने नहीं रखा। प्रारूप सामने आए तो गुण दोष पर विचार किया जा सकता है। केवल नाम सुनने से अनुमान नहीं लगाया जा सकता। देश की आजादी के समय लोगों ने चर्चा उठाई। उस समय करपात्री महाराज ने कहा था हिंदू राष्ट्र से काम नहीं चलेगा,रामराज्य की आवश्यकता है। हिंदू राष्ट्र कहने से वो बात नहीं आती, जो रामराज्य कहने से आती है। हम नए राज्य की स्थापना करना चाहते हैं तो क्यों न हम रामराज्य की बात करें।