November 25, 2024

दुनिया में पहली बार मौसम विभाग ‘प्लास्टिक रेन’ पर किया अलर्ट जारी

0

 पेरिस
 फ्रांस में मौसम विभाग ने राजधानी पेरिस में प्लास्टिक की बारिश का पूर्वानुमान जारी करके सभी को चौंका दिया। दुनियाभर में ऐसा पहली बार हुआ था, जब किसी देश के मौसम विभाग ने अपनी Weather Forecast Report में प्लास्टिक रेन की आशंका जताई हो। फ्रांस के मौसम वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि राजधानी पेरिस में हर 24 घंटे में 40 से 48 किलोग्राम (88 और 106 पाउंड) फ्री-फ्लोटिंग प्लास्टिक बारिश के पानी के साथ गिर सकता है। वहीं मौसम विभाग ने यह भी कहा कि यदि पेरिस में भारी बारिश होती है तो प्लास्टिक गिरने की संभावना 10 गुना तक बढ़ सकती है।

मौसम विभाग की इस अजीबोगरीब घोषणा के बाद 175 से अधिक देशों में वैज्ञानिक व पर्यावरणविद् इन दिनों फ्रांस में जुटे हैं। हालांकि मौसम विभाग ने जैसी चेतावनी जारी की थी, उसके मुताबिक फ्रांस में बारिश नहीं हुई, लेकिन Plastic Rain का संकट टला नहीं है और भविष्य में फ्रांस के साथ-साथ दुनिया के कई बड़े देशों में Plastic Rain का खतरा मंडरा रहा है।

 

जानें क्या है प्लास्टिक रेन

मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक जब 5 MM लंबे माइक्रोप्लास्टिक के कण बारिश के पानी के साथ धरती पर आते हैं तो इसे प्लास्टिक रेन कहा जाता है। बारिश में पानी में माइक्रोप्लास्टिक की संख्या इतनी ज्यादा हो जाती है कि धरती पर पानी स्वच्छ न होकर प्लास्टिक के मलबे के समान हो जाता है। प्लास्टिक के बेहद बारीक महीन कण पानी को प्रदूषित कर दे हैं।

 

आसमान में कैसे पहुंचा प्लास्टिक

आसमान से गिरने वाला यह माइक्रोप्लास्टिक पैकेजिंग, कपड़े, ऑटोमोबाइल, पेंट और पुराने कार के टायर आदि के प्रदूषण से आसमान में पहुंचता है। माइक्रोप्लास्टिक के कण गहरे समुद्र के पारिस्थितिक तंत्र को भी प्रभावित करते हैं।

आसमान में कितना प्लास्टिक प्रदूषण

 

धरती पर जमीन के साथ-साथ आसमान भी इन दिनों माइक्रोप्लास्टिक के संकट से जूझ रहा है। यहां तक कि अंटार्कटिका जैसे वीरान स्थान पर भी बीते दिनों बर्फ की खुदाई में माइक्रोप्लास्टिक के कण मिले हैं। माइक्रोप्लास्टिक्स हमारे वर्षा जल, खाद्य श्रृंखला और महासागरों को प्रभावित कर रहे हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि हर साल न्यूजीलैंड के ऑकलैंड शहर में 74 मीट्रिक टन माइक्रोप्लास्टिक आसमान से बारिश के साथ गिरता है, जो 30 लाख से अधिक प्लास्टिक बॉटल के बराबर है। ये तो सिर्फ एक शहर के ऊपर आसमान की स्थिति है। ऑकलैंड में प्रदूषण की यह स्थिति पैकेजिंग इंडस्ट्री के कारण हो रहा है। पैकेजिंग के काम में उपयोग मे आने वाला पॉलीएथिलीन एक तरह का माइक्रोप्लास्टिक है।

 

आंखों से नहीं दिखता है Micro Plastic

Micro Plastic के कण इतनी ज्यादा महीन व बारीक होते हैं कि इन्हें सामान्य आंखों से देखा नहीं जा सकता है। पानी में मिलने के बाद वेस्ट वाटर के रूप में ये नदियों से होते हुए समुद्र में पहुंचते हैं और फ‍िर बारिश के रूप में हमारी धरती पर आ जाते हैं।

Plastic Rain पर भारत में शोध नहीं

 

दुनिया के अधिकांश विकसित देशों में Plastic Rain पर शोध हो रहा है और इससे बचाव के लिए काम भी हो रहा है। इस चिंता से भारत भी अछूता नहीं है, लेकिन फिलहाल भारत में Plastic Rain को लेकर अभी तक कोई शोध नहीं हुआ है। लंदन, पेरिस, ऑकलैंड जैसे शहरों के वातावरण में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी गंभीर स्तर पर पहुंच गई है। पेरिस में हालत स्तर तक बिगड़ गए कि मौसम विभाग को Plastic Rain की चेतावनी भी जारी करना पड़ी।

रोज शरीर में जाते हैं 7000 माइक्रोप्लास्टिक

एक शोध के मुताबिक दुनिया में प्लास्टिक प्रदूषण इतना ज्यादा हो गया है कि एक सामान्य व्यक्ति प्रतिदिन 7 हजार माइक्रोप्लास्टिक अपनी सांस के साथ लेता है। यह तंबाकू के सेवन और सिगरेट पीने के समान ही जानलेवा साबित हो सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *