गैस राहत अस्पतालों में सर्जन नहीं, कबाड़ हो रहीं जांच मशीनें
भोपाल
गैस राहत अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी बनी हुई है। कई दिनों से अस्पतालों में सर्जरी तक नहीं हो पा रही है। क्योंकि सर्जन की नियुक्ति नहीं हो सकी। गैस पीड़ित मरीजों को प्रायवेट में पैसे देकर सर्जरी कराना पड़ रही है। वहीं, दूसरी ओर सोनोग्राफी मशीनें कबाड़ हो रही हैं, क्योंकि यहां सोनोग्राफी करने के वाले डॉक्टर तक नहीं है। डॉक्टर मरीजों को प्रायवेट अस्पतालों में सोनोग्राफी कराने की सलाह दे रहे हैं। जहांगीराबाद में रसूल अहमद सिद्दीकी पल्मोनरी अस्पताल में रेस्पिरेटरी यानी सांस से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे गैस पीड़ितों के बेहतर इलाज के लिए आज तक पल्मोनोलॉजिस्ट नियुक्त नहीं किया गया।
करोड़ों की मशीनें खा रहीं धूल
28 साल पहले 2.52 करोड़ रुपए की लागत से एडवांस मशीनें विदेशों से लाई गर्इं, लेकिन इन्हें चलाने के लिए ट्रेंड स्टाफ की भर्ती करना भी जरूरी नहीं समझा। ऐसे में यह मशीनें रखी-रखी कबाड़ हो गर्इं। पल्मोनरी अस्पताल में 1 दिसंबर 1994 को 18 मशीनें लाई गई थीं। इनमें एलाइजा रीडर व गामा काउंटर जैसी महंगी मशीनें शामिल थीं।