September 30, 2024

बिपरजॉय का सामना, भारत में मुकम्मल इंतजाम, पाकिस्तान में फिर निकला कटोरा

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 नई दिल्ली
बिपरजॉय तूफान भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए मुश्किलें लेकर आया। हालांकि दोनों देशों में इस तूफान से निपटने के तरीकों में खासा अंतर दिखा। एक-तरफ भारत में काफी पहले से ही इस चुनौती से निबटने की तैयारी शुरू हो गई थी। मौसम विभाग की चेतावनी के आधार पर खतरे वाली जगहों से लोगों को निकाल लिया गया था। वहीं, दूसरी तरफ पाकिस्तान में आलम यह रहा कि बिपरजॉय की चुनौतियों के सामने सिस्टम पूरी तरह से लाचार हो गया। पाकिस्तान में हालात किस कदर खराब थे, इसका अंदाजा उस तस्वीर से लगाया जा सकता है, जिसमें चक्रवात से प्रभावित इलाके में लोग हाथ में कटोरा लिए खड़े हैं।

पाकिस्तान में बारिश के बीच खुले में खाने का इंतजार
भारत और पाकिस्तान दोनों को एक साथ आजादी मिले। दोनों पड़ोसी देश हैं, लेकिन जहां एक तरफ भारत तमाम क्षेत्रों में आगे बढ़ता गया, पाकिस्तान उतनी ही तेजी से पिछड़ा। पिछले कुछ वक्त में अलग-अलग चुनौतियों से जूझ रहे पाकिस्तान की पोल बिपरजॉय ने फिर से खोल दी। पाकिस्तान से एक तस्वीर सामने आई है, जिसमें यहां पर लोग हाथ में कटोरा लिए खड़े दिखाई दे रहे हैं। यह तस्वीर पाकिस्तान के सिंध प्रांत के दक्षिण में स्थित सुजवल की है। इस तटीय इलाके में लोग तेज बारिश के बीच खाने के बर्तन लिए खड़े हैं। यह लोग इंतजार कर रहे थे कि आखिर कब वॉलंटियर्स उन तक खाना पहुंचाएंगे। सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान में लोगों को पता नहीं था कि चक्रवात के असर से बारिश भी होगी? फिर लोगों को खुले में यूं खाना लेने के लिए क्यों छोड़ दिया गया।

भारत में ऐसा रहा हाल
दूसरी तरफ भारत की बात करें तो यहां बिपरजॉय की चेतावनी मिलते ही इंतजाम शुरू हो गए थे। वक्त रहते बड़े पैमाने पर तटीय इलाकों से लोगों को हटाने का सिलसिला शुरू हो गया था। उन्हें सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाने का सिलसिला शुरू हो चुका था। इसका नतीजा यह रहा कि तूफान ने तबाही तो जरूर मचाई, लेकिन जान-माल का नुकसान काफी कम रहा। अगर बात खाने-पीने के इंतजाम की करें तो यहां पर कुत्तों और जानवरों तक के खाने के लिए इंतजाम किए गए थे। गुजरात के कच्छ जिले में जाखौ पोर्ट पर कुत्तों को खाना खिलाने की तस्वीर भी खूब वायरल हो रही है। इसके अलावा भारत में प्रधानमंत्री से लेकर गृहमंत्री लगातार साइक्लोन की खबरों पर नजर रखे हुए थे। इस अलर्टनेस का नतीजा यह रहा है कि भारत में तूफान ने तबाही तो की, लेकिन उसके निशां बहुत देर तक कायम नहीं रह सके। यहां तक कि जहां साइक्लोन के चलते बिजली बाधित हुई थी, वहां भी आनन-फानन में व्यवस्था बहाल कर दी गई।

 

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