November 29, 2024

सीएम केसीआर आज करेंगे श्रद्धांजलि स्मारक का उद्घाटन, तेलंगाना के शहीदों की याद में बना है ‘अमारा दीपम’

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हैदराबाद
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) गुरुवार को यहां तेलंगाना शहीद स्मारक 'अमारा दीपम' का उद्घाटन करेंगे। इस श्रद्धांजलि स्मारक को उन लोगों की याद में बनाया गया है जिन्होंने तेलंगाना राज्य के गठन को लेकर अपने जीवन का बलिदान दिया। हुसैन सागर झील के पास बना 'अमारा दीपम' महान बलिदान की याद के रूप में लगातार जगमगाता रहेगा। सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि 'अमारा दीपम' सुनहरे पीले रंग में चमकेगा। इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार ने 117.50 करोड़ रुपये की लागत से राज्य सचिवालय के सामने छह मंजिला स्मारक बनाया है।

सरकार ने स्मारक को बनाने के लिए 3.29 एकड़ सरकारी जमीन उपलब्ध कराई है। स्मारक भवन के निर्माण में 1600 मीट्रिक टन स्टेनलेस स्टील का उपयोग किया गया है। कई अन्य सुविधाओं के अलावा, स्मारक में एक संग्रहालय, फोटो गैलरी, कन्वेंशन हॉल, रेस्तरां और अन्य सुविधाएं हैं।

सबसे बड़ा है स्मारक
45 मीटर की यह संरचना स्टील से बना दुनिया का सबसे बड़ा मेमोरियल है। यह अमेरिका के शिकागो में बने 'क्लाउड गेट' और चीन में बने 'बबल' से पांच गुना बड़ा है। इस स्मारक के मुख्य वास्तुकार और डिजाइनर एम वेंकट रमण रेड्डी ने कहा कि इसे बनाने के लिए युद्ध शहीदों के लिए बनाए गए स्मारकों के विभिन्न मॉडलों का अध्ययन करने के लिए कई देशों का दौरा किया।

उन्होंने कहा कि भारत में भी संग्रहालय और स्तूप सहित कई युद्ध स्मारक हैं लेकिन तेलंगाना शहीदों का स्मारक एक अनूठा मॉडल बनाया है, जो तेलंगाना आंदोलन की भावना और लोगों द्वारा अलग तेलंगाना राज्य के सपने को साकार करने के लिए किए गए बलिदान को दर्शाता है।

रेड्डी ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री केसीआर को पांच डिजाइन सौंपे थे, जिन्होंने कुछ संशोधनों के साथ वर्तमान डिजाइन को अंतिम रूप दिया है। छह मंजिला संरचना में एक संग्रहालय, एक सभागार होगा जिसमें तेलंगाना आंदोलन पर फिल्में देखने के लिए 75 लोग बैठ सकते हैं। इसके साथ ही 650 लोगों के बैठने की व्यवस्था वाला एक सम्मेलन केंद्र, एक रेस्तरां और पर्यटकों के लिए अन्य सुविधाएं होंगी। भूमिगत दो मंजिलें वाहनों की पार्किंग के लिए बनाई गई हैं। इस परियोजना की केसीआर ने जून, 2017 में नींव रखी थी। इसे पूरा होने में छह साल लग गए। पिछले तीन वर्षों में 5000 से अधिक लोगों ने इस सपने को साकार करने में काम किया।

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