विपक्षी एकता में बैठक के बीच ‘दरार’, अड़ गई AAP, कांग्रेस बताए साफ
पटना
एक तरफ जहां पटना में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत 15 दलों के नेता विपक्षी एकता के लिए बैठक में जुटे हैं तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार के अध्यादेश को लेकर रार बढ़ गई है। अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने बैठक के बीच कांग्रेस और बीजेपी में डील का आरोप लगा दिया है। कांग्रेस की ओर से बाद में विचार के प्रस्ताव को खारिज करते हुए 'आप' ने कहा है कि अध्यादेश पर स्टैंड तुरंत साफ किया जाए।
आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने पीटीआई से बातचीत में आरोप लगाया कि बीजेपी और कांग्रेस में अध्यादेश को लेकर डील हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की बात का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, 'जो हमें जानकारी मिली विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक कि राहुल गांधी और बीजेपी के बीच में समझौता हो चुका है कि वह इस गैर कानूनी अध्यादेश में बीजेपी के साथ खड़े हैं, यह उसी बात को पुख्ता करता है। जब यह साफ है कि एक गैर-संवैधानिक अध्यादेश पास किया गया है जिसमें दिल्ली के लोगों का अधिकार छीना गया है। उसमें इतना समय क्यों लग रहा है कांग्रेस को। उनको साफ करना चाहिए अपना स्टैंड कि वह संविधान के साथ खड़ी है या बीजेपी के साथ खड़ी है।'
बिहार की राजधानी पटना में आज मोदी विरोधी 15 विपक्षी दल मिशन 2024 का आगाज करने जा रही है। राज्य के सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने देश से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को हटाने का बीड़ा उठाया है। उनके इस बीड़ा में कांग्रेस समेत कई दल साथ में हैं। लेकिन क्या विपक्षी दलों का महाजुटान क्या वाकई ऐसा कर पाने में सफल होगा? इसे लेकर विशेषज्ञों के जेहन में भी कई सवाल है। दरअसल, विपक्ष की असली परीक्षा तो 100 लोकसभा सीटों पर है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) को छोड़कर ज्यादातर विपक्षी दल एक राज्य में ही सीमित हैं। फिर बड़ा सवाल ये है कि पटना की बैठक से विपक्षी दल क्या रास्ता निकालेंगे। ये 100 सीटें ही तय करेंगी कि क्या विपक्ष का मोदी विरोधी मोर्चा पास होगा या फेल।
बीजेपी की विपक्षी दलों की बैठक पर पैनी नजर
बीजेपी को भी ये मालूम है कि अगर पूरा विपक्ष 2024 में एकजुट होता है तो उसके लिए राह मुश्किल हो जाएगी। हालांकि, बीजेपी का एक धड़ा इन बैठकों से बेफिक्र भी नजर आ रहा है। उनकी बेफिक्री का कारण लोकसभा की करीब 100 सीटें हैं। दरअसल, ये उत्तर प्रदेश (80) और उत्तराखंड (5) , हिमाचल (4), दिल्ली (7) की सीटें हैं। इसके अलावा राजस्थान (25) और गुजरात (26) जैसे राज्यों में भी विपक्षी दलों के बीच तनातनी तय है। बीजेपी यूपी में 2019 के चुनाव में विपक्षी एकता के खिलाफ लड़ चुकी है और बड़ी जीत दर्ज करके दिखा चुकी है।
बिहार, झारखंड और महाराष्ट्र में देगा बीजेपी को टेंशन
बीजेपी को लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा टेंशन बिहार (40 सीटें), महाराष्ट्र (48 सीटें) और झारखंड (14 सीटें) से मिल सकती है। पार्टी इस बात को मानती भी है। क्योंकि बिहार में उसे महागठबंधन के खिलाफ उतरना होगा। झारखंड में जेएमएम के नेतृत्व वाला गुट होगा तो महाराष्ट्र में एनसीपी और कांग्रेस और शिवसेना उद्धव गुट है। पार्टी का मानना है कि विपक्षी एकता की असली परख इन राज्यों में होगी। हालांकि, बीजेपी के नेताओं का मानना है कि अगर सही रणनीति के जरिए इस एकता को भी ध्वस्त किया जा सकता है।
क्या 450 सीटों पर वन टू वन चल पाएगा?
पटना में हो रही विपक्षी दलों की बैठक में नीतीश कुमार देश की 450 लोकसभा सीटों पर वन टू वन फॉर्म्युला देने वाले हैं। लेकिन बीजेपी का मानना है कि ये संभव नहीं है। इसके पीछे भगवा दल का तर्क है कि कांग्रेस और आप को छोड़कर अधिकांश दल एक ही राज्य तक सीमित हैं। ऐसे में ये दल भला केवल एक राज्य में अपनी सीटों का बंटवारा कैसे करेंगे। बीजेपी का मानना है कि बीजेपी के विरोध के नाम पर कई विपक्षी दल भले ही एक मंच पर आ गए हों लेकिन दिल्ली, पंजाब, गोवा, गुजरात और राजस्थान में दोनों दलों के बीच वोट बैंक को लेकर कड़ी टक्कर है।