ज्ञान-विज्ञान के लिये दुनिया भारत की ऋणी:आचार्य शर्मा
भिलाई
इस्पात नगरी के शिक्षाविद् और संस्कृति मर्मज्ञ आचार्य डॉ. महेशचन्द्र शर्मा ने शासकीय दू.श्री.वै. स्नातकोत्तर संस्कृत महाविद्यालय रायपुर में राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में विशेषज्ञ अतिथि के रूप में अपनी भागीदारी दी। इस दौरान संस्कृत वांग्मय और बौद्धिक सम्पदा अधिकार विषय पर बोलते हुए आचार्य डॉ.शर्मा ने बताया कि ज्ञान-विज्ञान के लिये पूरी दुनिया भारत की ऋणी है।
योग विश्वविद्यालय मुंगेर में दुनिया के 50 विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर महामृत्युंजय मन्त्र और गायत्री मंत्र आदि की ऊर्जा और टेलीपैथी पर काम कर रहे हैं। कुलपति स्वामी निरंजनानन्द छत्तीसगढ़ से हैं। उधर अमेरिका में अपनी न्यूरो साइंसेज संस्था में प्रो. मार्गन के जाप से चिकित्सा में चमत्कार दिखा रहे हैं। आई.आई.टी.कानपुर जैसी संस्थाएं गीता आदि पर बड़ा काम कर ही रही हैं। डा.शर्मा ने युवा वर्ग का आह्वान किया कि इसी पृष्ठभूमि पर भारत को पुन: विश्व गुरु और सोने की चिडि?ा बनायें। प्राचार्या डॉ.राधा पाण्डेय एवं ज्योतिष विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ.शिवेश्वर उपाध्याय ने आचार्य डॉ.शर्मा को प्रतीक चिह्न , श्रीफल और पौधा भेंट कर सम्मानित किया।
इस संगोष्ठी में मुख्य विशेषज्ञ के रूप में पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति प्रो.विजय कुमार मेनन,शा.संस्कृत महाविद्यालय ग्वालियर के डा.बालकृष्ण शर्मा, छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्या मण्डल छत्तीसगढ़ शासन के अध्यक्ष (कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त) डॉ.सुरेश कुमार शर्मा , सागर के डा. नैनिहाल गौतम, राजनांदगांव की डा.सुषमा तिवारी और डा.दिव्या देशपाण्डेय सहित अन्य उपस्थित थे। यह राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी प्राचार्या डॉ.श्रीमती राधा पाण्डेय की अध्यक्षता और डा. राघवेन्द्र शर्मा , डा.वैभव बसंत कान्हे एवं डॉ.संतोष शर्मा आदि के सहयोग से सम्पन्न हुई।