September 24, 2024

अब पार्टी बचाने में जुटे शरद पवार, मंत्री बनने वाले 9 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग; स्पीकर को लिखा पत्र

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महाराष्ट्र
महाराष्ट्र की राजनीति में रविवार का दिन बड़ी हलचल वाला रहा है। सूबे की सियासत में भीष्म पितामह का कद रखने वाले शरद पवार को करारा झटका लगा है और उनके भतीजे अजित पवार न 9 विधायकों समेत एकनाथ शिंदे सरकार जॉइन कर ली। कहा जा रहा है कि उन्हें एनसीपी के कम से कम 40 विधायकों का समर्थन हासिल है। वह विधायकों के साथ ही अचानक राज्यपाल भवन पहुंचे और सरकार को समर्थन का ऐलान कर दिया। इसके बाद कुल 9 विधायकों ने मंत्री पद की आनन-फानन में ही शपथ ले ली। अब एनसीपी इन विधायकों के खिलाफ ऐक्शन की मांग लेकर विधानसभा स्पीकर के दरवाजे पर पहुंची है।
 
एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि उन्होंने विधायकों को अयोग्य करार देने के लिए स्पीकर को पत्र लिखा, जिन्हें गठबंधन सरकार में मंत्री बनाया गया है। पार्टी की अनुशासन समिति को इन विधायकों की बगावत का मामला भेजा गया था। अनुशासन समिति के अध्यक्ष जयप्रकाश दांडेगांवकर ने कहा कि इन लोगों की हरकत अवैध है। इन्हें ऐसा करने से बचना चाहिए था। इन लोगों ने पार्टी और शरद पवार साहब को अंधेरे में रखा था। पार्टी ने ईमेल के जरिए विधानसभा स्पीकर से अपील की है कि विधायकों को अयोग्य करार दिया जाए।
 
जितेंद्र अव्हाड ने कहा कि जल्दी ही इस संबंध में फिजिकली पत्र सौंपा जाएगा। पाटिल ने कहा कि हमने स्पीकर राहुल नार्वेकर से कहा कि वह तुरंत ही मामले की सुनवाई करें और ऐक्शन लें। उन्होंने कहा कि हमने इस मामले में चुनाव आयोग से भी संपर्क साधा है। इस बीच शरद पवार खुद को बेफिक्र दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। वह आज महाराष्ट्र के ही सतारा जिले के कराड में एक जनसभा को संबोधित करने वाले हैं। यहां वह यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे और फिर जनता को संबोधित करेंगे। शरद पवार अपनी पत्नी प्रतिभा, पोते रोहित पवार, एनसीपी की राज्यसभा सांसद वंदना चव्हाण समेत कई नेताओं के साथ सतारा के लिए निकले हैं।
 
जयंत पाटिल का कहना है कि जिन विधायकों ने शपथ ली है, उन्हें कोई अधिकार ही नहीं है कि वे पार्टी बदलकर मंत्री बन सकें। उन्होंने जिस वक्त एनसीपी से बगावत की, उसी समय वे अयोग्य करार दिए गए। उन्होंने कहा कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में कहा गया है कि विधायकों की संख्या भले ही कितनी हो, लेकिन पार्टी की ओर से नियुक्त व्हिप यदि साथ नहीं जाता है तो फिर उसकी राय ही अहम होगी और उसके कहने पर इन लोगों को अयोग्य करार दिया जा सकता है।

 

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