September 28, 2024

मणिपुर में तनाव बढ़ाने को नहीं कर सकते हमारा इस्तेमाल, SC की तल्ख टिप्पणी

0

नईदिल्ली

मणिपुर में बीते दो महीने से जारी हिंसा के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तीखी टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने कहा कि मणिपुर में हिंसा बढ़ाने के मंच के रूप में कोर्ट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि हिंसा खत्म करने के लिए कानून एवं व्यवस्था के तंत्र को हम अपने हाथ में नहीं ले सकते। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा वह अथॉरिटीज को स्थिति को बेहतर बनाने का निर्देश दे सकते हैं। इसके लिए उसे विभिन्न समूहों से मदद लेने तथा सकारात्मक सुझावों की जरूरत होगी।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सरकार के चीफ सेक्रेटरी की ओर से दाखिल स्टेटस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद यह बात कही। उसने मणिपुर ट्राइबल ग्रुप की ओर से दायर याचिरा पर कहा, 'हमें स्थिति को बेहतर बनाने के लिए मंगलवार तक कुछ सकारात्मक सुझाव दीजिए और हम केंद्र तथा मणिपुर सरकार से इस पर गौर करने के लिए कहेंगे।’शीर्ष न्यायालय ने मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से जून में जारी एक सर्कुलर पर निर्देश लेने को कहा जिसमें उसने राज्य सरकार के कर्मचारियों को ड्यूटी पर उपस्थित होने या वेतन में कटौती का सामना करने के लिए कहा था।

उच्चतम न्यायालय ने तीन जुलाई को मणिपुर सरकार को आदेश दिया था कि वह राज्य में जातीय हिंसा के शिकार लोगों के पुनर्वास और अन्य सेवाओं पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे। राज्य में 3 मई को मैतेई समुदाय को भी आदिवासी का दर्जा दिए जाने के सुझाव को लेकर हिंसा भड़क गई थी। यह सुझाव हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था, जिस पर कूकी समुदाय के लोगों को आपत्ति है। 3 मई को अदालत के फैसले के खिलाफ कूकी समाज के लोगों का मार्च था। इसी दौरान दो पक्षों के आमने-सामने आने से विवाद बढ़ गया।

फिर यह पूरा विवाद हिंसा में तब्दील हो गया और राज्य के अलग-अलग इलाकों में खूब बवाच मचा। अब तक इस हिंसा में 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। सैकड़ों लोग हिंसा की इन घटनाओं में घायल भी हो चुके हैं। मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय नगा और कुकी आबादी का हिस्सा 40 प्रतिशत है और वे पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *