November 27, 2024

वाराणसी में क्रूज, वाटर टैक्सी के बाद रोप-वे की सुविधा, 4 किमी की दूरी में होंगे 5 स्टेशन

0

वाराणसी
बनारस में जाम से निजात के लिए तमाम विकल्पों पर काम चल रहा है। एक तरफ स्टेशनों, एयरपोर्ट के विस्तार की कार्ययोजना बन रही है तो दूसरी तरफ गंगा में जलपरिवहन को बढ़ावा देने के लिए पहले क्रूज और अब वाटर टैक्सी का संचालन शुरू होने जा रहा है। इसके साथ देश में पहली बार ट्रांसपोर्टेशन के लिए बनारस में रोप-वे चलने जा रहा है।

पहले चरण में रोप-वे कैंट स्टेशन से करीब चार किलोमीटर की यात्रा कराएगा, लेकिन जल्द ही बीएचयू और सारनाथ की भी सैर का मौका मिलेगा। यह काम दूसरे चरण में होगा। पहले चरण में कैंट से गोदौलिया तक रोप-वे पर काम शुरू हो गया है, जिसे दिसम्बर 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा। मंडलायुक्त कौशलराज शर्मा ने बताया कि रोप-वे का विस्तार सारनाथ और बीएचयू तक किया जाना है। गोदौलिया तक रोप-वे का संचालन शुरू होने के बाद दूसरे चरण में चौक, मैदागिन, गोलगड्डा से नमोघाट के आसपास तक एक लाइन दौड़ाई जाएगी।

दूसरी लाइन नमोघाट से सारनाथ के बीच में होगी। जो आशापुर होती हुई जाएगी। वहीं गोदौलिया से तीसरी लाइन मदनपुरा, सोनारपुरा, ब्रॉडवे होटल, रवींद्रपुरी तथा रविदास गेट होते हुए बीएचयू परिसर तक ले जाने की तैयारी है। वहीं, एक अन्य लाइन को घाटों से जोड़ने के लिए रविदास घाट तक ले जाने की भी योजना है। विकास प्राधिकरण को सर्वे की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मंडलायुक्त के मुताबिक दूसरे चरण की परियोजना का आकलन रिपोर्ट जल्द ही पीएमओ और प्रदेश शासन में भेजी जाएगी।

अब प्रति घंटे सफर पर तीन हजार यात्री, 228 केबिन होंगे
18 माह में पूरा होने वाला रोप-वे प्रोजेक्ट देश का पहला है, जो शहरी परिवहन का हिस्सा होगा। पहले प्रति घंटे 4500 यात्रियों को रोप-वे की केबल कार में सफर करना था, लेकिन अब प्रस्तावित संख्या घटाकर तीन हजार कर दी गई है। रोप-वे में 228 केबिन होंगे। एक केबिन में 10 लोग सवार हो सकेंगे। 6.5 मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से 17 मिनट में दूरी तय कर ली जाएगी।

सरकारी जमीन पर 14 तो निजी पर खड़े होंगे 16 टॉवर
30 टावर के जरिए चलने वाली रोप-वे परियोजना में 1.59 हेक्टेयर जमीन आपसी सहमति से ली जा रही है। इसमें 90 फीसदी जमीन अधिग्रहित की जा चुकी है। 0.96 हेक्टेयर निजी जमीन पर 16 टावर खड़े होंगे और 0.63 हेक्टेयर सरकारी जमीन पर 14 टावर का निर्माण किया जाएगा। कैंट स्टेशन, काशी विद्यापीठ सहित अन्य संस्थाओं की जमीनों का भी उपयोग किया जाएगा।

चार किमी की दूरी में पांच स्टेशन बनाए जाएंगे
वर्तमान में चल रहे प्रोजेक्ट के अंतर्गत कैंट से गोदौलिया तक चार किलोमीटर लंबे रूट पर पांच स्टेशन होंगे। कैंट स्टेशन के पास एक मिनी होटल और लाकर रूम भी होगा। विश्वनाथ मंदिर दर्शन के लिए आने वाले पर्यटक सबसे ज्यादा इसी रूट से गोदौलिया चौराहे तक जाते हैं। निर्माण की जिम्मेदारी विश्व समुद्रा को दी गई है।

पहले दो स्टेशन, इसके बाद तीन स्टेशन का होगा काम
वर्तमान में करीब 400 करोड़ से कैंट से गोदौलिया तक चार किमी तक रोप-वे का संचालन किया जाएगा। पहले कैंट से भारत माता मंदिर रूट पर काम होगा। फिर कैंट और काशी विद्यापीठ स्टेशन का निर्माण किया जाएगा। इसके बाद भारत माता मंदिर से रथयात्रा और लक्सा तक के रूट का निर्माण किया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *