September 30, 2024

दाल-सब्जियों के बाद चावल के उछलने लगे भाव, गैर बासमती के निर्यात पर रोक की तैयारी

0

नई दिल्ली
दालों और सब्जियों की कीमतों में तेज बढ़ोतरी के चलते जून में खुदरा महंगाई में उछाल आया है। वहीं, चावल की कीमतों में भी लगातार इजाफा हुआ है। इसे देखते हुए केंद्र सरकार सभी तरह के गैर बासमती चावल के निर्यात पर रोक विचार कर रही है। बताया जा रहा है कि इस पर जल्द ही फैसला लिया जा सकता है। गेंहू और चीनी के निर्यात पर पहले से ही रोक लगी हुई है।

अलनीनो का असर: समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम अल-नीनो मौसम की वापसी के कारण उठाया जा सकता है। दरअसल, जिन राज्यों में चावल का उत्पादन होता है, वहां असामान्य बारिश देखने को मिल रही है। इसके चलते चावल के उत्पादन में कमी की आशंका जताई जा रही है। इससे चावल की कीमतें अभी से बढ़ने लगी हैं। घरेलू बाजार में पिछले दो हफ्तों मे चावल की कीमतों में 20 फीसदी तक का उछाल देखने को मिला है।
 

बढ़ती कीमतों पर अंकुश लग सकेगा: ऐसे में सरकार अभी से घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए चावल के निर्यात पर रोक लगाने की विचार कर रही है। सरकार के इस फैसले से घरेलू बाजार में कीमतों में बढ़ोतरी पर अंकुश लग सकेगा। पिछले वर्ष भी सरकार ने टूटे चावल के निर्यात पर रोक लगाई थी। साथ ही सफेद और भूरे चावल के निर्यात पर 20 फीसदी ड्यूटी लगाई गई थी।

80 फीसदी चावल निर्यात पर असर संभव: इस प्रतिबंध से भारत के लगभग 80 फीसदी चावल निर्यात पर असर पड़ने की संभावना है। इस प्रतिबंध से हालांकि घरेलू बाजार में कीमतें कम हो सकती हैं लेकिन दुनियाभर में दाम बढ़ सकते हैं। भारत दुनिया में सबसे सस्ती कीमत पर चावल की आपूर्ति सप्लाई करता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल का निर्यातक है और कुल वैश्विक निर्यात में उसकी 40 फीसदी हिस्सेदारी है। वर्ष 2022 में भारत ने कुल 56 मिलियन टन चावल का निर्यात किया था।

देश में कितना उत्पादन:आंकड़ों के अनुसार 2012-13 से ही हर साल देश में चावल का उत्पादन एक लाख टन से अधिक रहा है। साल 2021-22 में 129,471 टन उत्पादन हुआ था। वहीं साल 2022-23 में यह आंकड़ा 136,000 टन था। हालांकि वर्ष 2023-24 में यह कम होकर 134,000 टन हो गया।

राज्यों के लिए भी बिक्री रोकी थी: हाल ही में, केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने खुली बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत पूर्वोत्तर, पहाड़ी राज्यों और कानून और व्यवस्था की स्थिति और प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने वालों को छोड़कर बाकी सभी राज्य सरकारों को चावल और गेहूं की बिक्री बंद कर दी थी। मंत्रालय का कहना था कि यह फैसला गेहूं और चावल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए लिया गया था। हाल ही में मंडियों में चावल और गेहूं की कीमतों में तेजी देखी गई है। चावल और गेहूं की कीमतें जून से बढ़ने लगी हैं। अगले 9-10 महीनों तक कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार को बाजार में हस्तक्षेप करते रहना होगा क्योंकि गेहूं की अगली फसल अप्रैल 2024 में ही आएगी।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *