अलीगढ़ में अंग्रेजों ने बसाने को दी थी सस्ते में जमीन, आज भी खड़ी इमारतों के लिए ये रखी थी शर्त
अलीगढ़
बड़े-बड़े बागान, चारों तरफ हरियाली, शोर व अन्य प्रदूषण से मुक्त शांत वातावरण। आशियाना बनाने से पहले कुछ ऐसी ही कल्पना आज के समय में लोग करते हैं। वहीं आज से करीब 140 साल पहले इस तरह की सोच थी ब्रिटिश अफसरों की। जिसकी तस्वीर आज भी मौजूद है। जी हां, अंग्रेजों ने प्रत्येक शहरों में सिविल लाइन क्षेत्र बसाए थे। जिसके लिए नवाबों व राजाओं को कौड़ियों के भाव में जमीन दी गई। इसके एवज में एक शर्त भी रखी गई। शर्त थी कि कोठी के आगे की ओर आधे बाग में बगीचा बनाना होगा।
यह बात 1882 की, तब ब्रिटिश हुकूमत ने अपनी जड़े भारत में मजबूती से जमा लीं थी। तब अंग्रेजों ने सिविल लाइंस क्षेत्र में खुली हवादार फैली बसावट, बागानों से घिरीं कोठियां बसाकर प्रदूषणमुक्त आवासीय उपनगर के रूप में विकसित किए थे। अलीगढ़ में सिविल लाइन क्षेत्र के रूप में मैरिस रोड की बसावट की गई थी।
तब अंग्रेज कलक्टर सर विलिमय मैरिस ने अलीगढ़ के राजे-नवाबों, जमींदारों को आग्रहपूर्वक मैरिस रोड के दोनों तरफ बुलंदशहर, रामपुर, दानपुर, धर्मपुर, छतारी के अनेक नवाबों को महज 25 पैसे प्रति वर्गगज के हिसाब से 20-20 हजार वर्गगज के प्लाट बनाकर दिए थे। इसके साथ ही सख्त हिदायत दी गई थी कि सड़क की तरफ कोठी के आगे आधी जमीन बगीचे के लिए छोड़ी जाए। आज भी मैरिस रोड पर उसी अंदाज में बनी कोठियां देखी जा सकती हैं। जिनका स्वरूप आज भी ब्रिटिश दौर में तैयार होने के दौरान जैसा था वैसा ही है।
स्टेशन, स्टेट बैंक का हिस्सा था सिंधिया पैलेस
इतिहास की जानकार डा. वेदवती राठी ने बताया कि नार्दन रेलवे अलीगढ़ स्टेशन के पूर्व में जहां रेलवे कॉलोनी व डाक बंगले बने हुए हैं। स्टेट बैंक से सेन्टर प्वाइंट तक पूरे क्षेत्र को कभी सिंधिया पैलेस के नाम से जाना जाता था। रेलवे स्टेशन से टीकाराम मंदिर तक बहुत बड़ी पोखर हुआ करती थी।
लखनऊ के हबीबगंज नबाब परिवार ने अलीगढ़ में 1934 में तैयार कराई थी हबीब मंजिल
हबीब मंजिल 1934 में बनकर तैयार हुई थी। इस कोठी का नक्शा लखनऊ के कुष्मांडा हाउस (हजरतगंज) की तरह कुछ सुधार करते तैयार कराया गया था। ये हबीबगंज के नवाब व शेरवानी परिवार से थे। ये शेरशाह सूरी के वशंज कहलाए जाते थे।
इन-इन नवाबों ने बनाई थीं कोठियां
-सेंटर प्वाइंट पर दानपुर के नवाब अम्मार साहब की कोठी
-कोठी जाख विला, जड़ाऊलाल झा (एक गुजराती ब्राहाम्ण जमींदार)
-मैंडू कंपाउंड-मैंडू के नवाब की कोठी
-लाखनू कंपाउंड-लाखनू के राजा मानसिंह की कोठी
-छतारी कंपाउंड-नवाब अहमद सईद खां की कोठी
-नूर मंजिल, बेतुल मजीद की कोठी