September 29, 2024

जिन 9 दलों का न NDA और न ही INDIA से जुड़ा नाता, जानें- उनमें कितना दम और क्या प्लान?

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नई दिल्ली

  भारतीय राजनीति, राजनीतिक दलों और आगामी लोकसभा चुनावों के लिए मंगलवार (18 जुलाई) का दिन काफी अहम रहा। एक तरफ दक्षिण में कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में कांग्रेस और उसकी सहयोगी व समान विचारधारा वाले 26 दलों का महाजुटान हुआ तो दूसरी तरफ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बीजेपी की अगुवाई में NDA के 38 दलों की मेगा मीटिंग हुई। इन दोनों बैठकों से 9 बड़ी सियासी पार्टियों ने खुद को दूर रखा।

जिन दलों ने सत्ताधारी NDA गठबंधन और उसके खिलाफ बने नए INDIA गठबंधन से खुद को अलग रखा, उनमें मायावती की बहुजन समाज पार्टी (BSP), पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की पार्टी जनता दल सेक्युलर, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल, तेलंगाना की सत्ताधारी और के चंद्रशेखर राव की पार्टी भारतीय राष्ट्र समिति, आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी की पार्टी YSRCP, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM, पंजाब की शिरोमणि अकाली दल, हरियाणा की इंडियन नेशनल लोकदल और असम की AIUDF शामिल है। मौजूदा 17वीं लोकसभा में इन सभी दलों के कुल 59 सांसद हैं, जो कुल सांसदों का 11 फीसदी है। 2019 के चुनावों में इन दलों को मिलाकर कुल 10.71 फीसदी वोट मिले थे।

बहुजन समाज पार्टी
उत्तर प्रदेश में अपना बड़ा जनाधार रखने वाली बहुजन समाज पार्टी की मुखिया और यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर फिलहाल अपने पत्ते नहीं खोले हैं। यूपी के अलावा सटे राज्यों बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी बसपा का कुछ इलाकों के मतदाताओं पर बड़ा प्रभाव रहा है। दलित और मुस्लिम मतदाताओं पर मायावती की पकड़ मजबूत मानी जाती है। साल 2019 में मायावती ने अखिलेश यादव के साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ा था। तब बसपा को 10 सीटों पर जीत हासिल हुई थी और उसके खाते में कुल 3.62 फीसदी वोट आए थे। मौजूदा परिस्थितियों में अगर मायावती किसी भी गठबंधन से समझौता करती हैं तो उसे इसका बड़ा लाभ मिल सकता है।

बीजू जनता दल
NDA के पुराने साथी रहे और कई मौकों पर एनडीए से बाहर रहकर बीजेपी के संकटमोचक बनने वाले नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल ने भी फिलहाल अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इस पार्टी का ओडिशा में बड़ा जनाधार है। मौजूदा लोकसभा में उसके 12 सांसद हैं। ओडिशा से कुल 21 सांसद चुनकर आते हैं। 2014 में बीजेडी ने 20 सीटों पर कब्जा किया था। उसे दोनों चुनावों में करीब 1.7 फीसदी वोट मिले थे और उस राज्य के विधानसभा चुनाव में 45 फीसदी वोट मिले थे।

भारत राष्ट्र समिति
तेलंगाना की सत्ताधारी भारत राष्ट्र समिति के मुखिया और राज्य के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव लंबे समय से गैर कांग्रेसी-गैर भाजपाई गठबंधन की वकालत करते रहे हैं। उन्होंने दोनों गठबंधनों से समान दूरी बनाकर रखी है और आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव अपने बलबूते लड़ने का ऐलान किया है। मौजूदा समय में उसके 9 लोकसभा सांसद हैं। 2019 में बीआरएस (तब टीआरएस थी) को 1.25 फीसदी वोट मिले थे।

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